महाराष्ट्र में BJP गठबंधन की प्रचंड जीत के पीछे रहे ये 8 कारण, विपक्ष को किया क्लीन बोल्ड
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों की स्थिति लगभग साफ हो चुकी है। महायुति 220 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और महाविकास अघाड़ी केवल 58 सीटों पर सिमट गई है। ये आंकड़ा बदल सकता है लेकिन ये तो तय है कि राज्य में महायुति की सरकार बनने जा रही है। महायुति बहुमत के आंकड़े से बहुत आगे निकल चुकी है। इस बीच खबर ये भी है कि देवेंद्र फडणवीस को राज्य का नया सीएम बनाया जा सकता है। बीजेपी अध्यक्ष उनसे मिलने के लिए भी पहुंचे हैं। बीजेपी गठबंधन की इस जीत के पीछे तमाम फैक्टर्स ने काम किया है, जिसके बारे में हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं।
लड़की बहिन योजना
बीजेपी गठबंधन की सरकार की लड़की बहिन योजना, चुनाव में बहुत काम आई। आम जनता के मन में ये भूमिका बनी कि मौजूदा सरकार महिलाओं के हितों का ध्यान रख रही है। महिलाओं के खातों में हर महीने रुपए पहुंचने से ये विश्वास दृढ़ हुआ, जो वोटों में तब्दील हो गया।
पीएम के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का असर, ओबीसी वोट पर फोकस
बीजेपी गठबंधन ने ओबीसी वोट पर फोकस किया और ये कोशिश की, कि ये वोट कहीं जाने ना पाए। वहीं पीएम मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’, ने भी कारगर काम किया और लोगों को एकजुट करते हुए बीजेपी गठबंधन का वफादार बना दिया।
विदर्भ का ध्यान रखा
इस चुनाव में महायुति ने विदर्भ का भी खास ध्यान रखा। महायुति ने न केवल यहां पर अपनी स्थिति को सुधारा बल्कि यहां के लोगों में ये विश्वास भरा कि वह किसानों के साथ खड़ी है। बीजेपी गठबंधन ने कपास और सोयाबीन किसानों को राहत देने के लिए कदम उठाए।
हिंदू मुस्लिम वोटों को लुभाने में सफल
बीजेपी गठबंधन ने हिंदू और मुस्लिम वोटरों को साधने की सफल कोशिश की। एक तरफ बंटेंगे तो कटेंगे का नारा देकर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास किया और दूसरी तरफ शिंदे सरकार ने मदरसों के शिक्षकों की सैलरी बढ़ाकर ये साफ कर दिया कि वह मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। जिस वजह से बीजेपी गठबंधन को मुस्लिम और हिंदू दोनों का वोट मिला।
लोकल नेताओं से करवाया प्रचार
बीजेपी ने महाराष्ट्र के चुनावों में नई रणनीति अपनाई और लोकल नेताओं से ही सबसे ज्यादा प्रचार करवाया। बीजेपी गठबंधन की तरफ से सबसे ज्यादा प्रचार देवेंद्र फडणवीस ने ही किया। केंद्रीय नेताओं को पीछे रखकर लोकल वोट साधने के लिए लोकल नेता की रणनीति काम आई और उसका फायदा वोटों के रूप में दिखाई दिया।
संघ और बीजेपी एक साथ आए
बीच में ऐसा लग रहा था कि संघ और बीजेपी के बीच कुछ मतभेद हैं लेकिन महाराष्ट्र चुनावों के लिए संघ और बीजेपी ने एक साथ मिलकर काम किया। संघ के स्वयंसेवक भाजपा का संदेश लेकर हर दरवाजे पर गए। जिससे लोगों के मन में बीजेपी गठबंधन के प्रति विश्वास पनपा।
टोल प्लाजा से टोल हटाने का फैसला
टोल प्लाजा से टोल हटाने का फैसला भी बीजेपी गठबंधन के लिए फायदेमंद साबित हुआ और लोगों ने उसे जमकर वोट किया।
विपक्ष के पास मुद्दों की कमी
महायुति की जीत का एक कारण ये भी है कि इस चुनाव में विपक्ष के पास मुद्दों की भी कमी रही। विपक्ष को सत्ता पक्ष को घेरने के लिए जो मेहनत करनी चाहिए, वह नहीं हो सकी। जिसका फायदा महायुति ने उठाया और वोटों को अपने पाले में कर लिया।