‘हजरतबल दरगाह में बोर्ड लगाने की जरूरत नहीं थी, गलत हुआ’, विवाद पर बोले फारूक अब्दुल्ला

‘हजरतबल दरगाह में बोर्ड लगाने की जरूरत नहीं थी, गलत हुआ’, विवाद पर बोले फारूक अब्दुल्ला

श्रीनगर:  नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने पैगंबर मोहम्मद को समर्पित हजरतबल दरगाह पर अशोक स्तंभ प्रतीक चिह्न वाली बोर्ड नहीं लगाई होती, तो इस पर पनपे विवाद से बचा जा सकता था। अनंतनाग में एक शोक सभा में हिस्सा लेने के बाद अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “बोर्ड लगाने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन उन्होंने इसे लगा दिया और लोगों को यह पसंद नहीं आया।”

लोगों के सहयोग से हुआ निर्माण-अब्दुल्ला

उन्होंने अशोक स्तंभ प्रतीक चिह्न वाले बोर्ड लगाने के फैसले को एक गलती बताया, जो नहीं होनी चाहिए थी। अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि हजरतबल और अन्य दरगाहों का निर्माण लोगों के योगदान से हुआ है, किसी की कृपा से नहीं। उन्होंने कहा, “जब शेर-ए-कश्मीर (शेख मुहम्मद अब्दुल्ला) ने निर्माण कार्य की देखरेख की थी, तो उन्होंने दरगाह पर कोई बोर्ड नहीं लगाया था, क्योंकि यह अल्लाह और उसके पैगंबर को समर्पित थी।”

ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे-अब्दुल्ला

हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ प्रतीक चिह्न वाले बोर्ड को क्षतिग्रस्त किए जाने के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, “उन्हें यह समझने की जरूरत है कि उन्होंने जो किया वह गलत था और लोग ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम एक शांतिप्रिय समुदाय हैं और उन्हें यह समझना चाहिए कि उन्होंने गलती की है।”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल हजरतबल दरगाह, क पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थल है, जहां पैगंबर मुहम्मद की पवित्र अवशेष (मोई-ए-मुबारक) रखी हुई है।  3 सितंबर 2025 को दरगाह के जीर्णोद्धार कार्य के उद्घाटन के लिए एक बोर्ड लगाया गया था। इसमें भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ अंकित था। इस शिलापट्ट को लेकर 5 सितंबर 2025 को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर विवाद शुरू हुआ।

कुछ स्थानीय लोगों और नेताओं ने शिलापट्ट पर अशोक स्तंभ की मौजूदगी को इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ माना, क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजा (Idol Worship) निषिद्ध है और वे इसे तौहीद (एकेश्वरवाद) के सिद्धांत के विरुद्ध मानते हैं। उनका कहना था कि पवित्र धार्मिक स्थल पर इस तरह का प्रतीक लगाना अनुचित है। 5 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद एक भीड़ ने पर पत्थरबाजी की और अशोक स्तंभ को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया।