नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और प्रो. रूप रेखा वर्मा द्वारा दायर एक संयुक्त याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के फैसले को चुनौती दी गई है।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी सुनवाई
चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ, जिसमें जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ भी शामिल हैं, सजा में दी गई छूट को रद करने के निर्देश की मांग करने वाली याचिका पर विचार करेगी।
पेगासस जासूसी मामले पर होगी सुनवाई
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के बैच पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें शीर्ष अदालत के पूर्व जज आरवी रवींद्रन ने एक रिपोर्ट दाखिल की है। शीर्ष अदालत पीएमएलए के फैसले को चुनौती देने वाली की समीक्षा याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी।
इसके अलावा, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली एक पीठ पंजाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा भंग होने के मामले में दिए गए जांच के आदेश पर भी आदेश देगी।
बिलकिस बानो मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अर्जी
बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की गई है। याचिका में कोर्ट से मामले में सुनवाई का आग्रह किया गया था। बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 कैदियों को हाल ही में गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहा कर दिया गया। सभी दोषी गोधरा की उपजेल में बंद थे।
बता दें कि 21 जनवरी 2008 को मुंबई में सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को सामूहिक दुष्कर्म और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा को बाम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था।