दिल्ली के प्रदूषण से बढ़ने जा रही बंगाल के लोगों की मुश्किलें, इन राज्यों में भी फूलेंगी ‘सांसें’

- दिल्ली के बाद अब बंगाल भी धीरे-धीरे वायु प्रदूषण की जकड़ में आने को है। तेज हवाओं के असर से दिल्ली का प्रदूषण बंगाल की ओर ही बढ़ रहा है जहां बंगाल की खाड़ी में पहुंचकर खत्म हो जाएगा।
नई दिल्ली : दिल्ली के बाद अब बंगाल भी धीरे-धीरे वायु प्रदूषण की जकड़ में आने को है। तेज हवाओं के असर से दिल्ली का प्रदूषण बंगाल की ओर ही बढ़ रहा है, जहां बंगाल की खाड़ी में पहुंचकर खत्म हो जाएगा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार आने वाले दिनों में बंगाल के ऊपर एक एंटीसाइक्लोन विकसित होने की संभावना है, जिसकी वजह से निकट भविष्य में यहां प्रदूषण के स्तर और ज्यादा वृद्धि देखने काे मिलेगी।
मौसम विज्ञान के मुताबिक एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन ऊपरी स्तरों में एक वातावरणीय वायु प्रवाह है जो किसी उच्च दबाव वाले विक्षोभ से जुड़ा होता है। जब भी ऐसा विक्षोभ बनता है तो हवा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी के हिसाब से बहती है और दक्षिणी गोलार्ध में उसके उलट बहती है। यह विक्षोभ प्रदूषणकारी तत्वों को उठने और नष्ट नहीं होने देता।
स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत कहते हैं, इस समय एक एंटीसाइक्लोन पूर्वी मध्य प्रदेश और उससे सटे छत्तीसगढ़ के ऊपर दिखाई दे रहा है, जिसके पूरब की तरफ बढ़ने की संभावना है। एक दो दिन में यह उड़ीसा एवं बंगाल के गांगीय इलाकों और उससे सटे झारखंड में आमद दर्ज करा सकता है। जब कभी एंटीसाइक्लोन बनता है तो हवा नीचे की तरफ नहीं आती, जिससे प्रदूषणकारी तत्व वातावरण में ऊपर नहीं उठते। बंगाल में मौसम की यह स्थिति अगले तीन-चार दिनों तक बने रहने की संभावना है। नतीजतन प्रदूषण का स्तर भी अधिक हो सकता है।
इसी तरह की मौसमी स्थितियां वर्ष 2018 में कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों में पैदा हुई थी। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2018 के नवंबर व दिसंबर के एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त तक कोलकाता की हवा दिल्ली के मुकाबले ज्यादा खराब रही थी। विज्ञानियों के मुताबिक बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के उत्तर पश्चिमी मैदानों के पूर्वी हिस्से में स्थित होने का खामियाजा भुगत रहा है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के स्कूल आफ अर्थ मोशन एंड क्लाइमेट साइंसेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. वी. विनोज कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिम से लेकर बंगाल तक के क्षेत्र को कवर करने वाले सिंधु गंगा के मैदानों की स्थलाकृति की प्रकृति उत्तर और दक्षिण दोनों ही तरफ से पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी है। इसकी वजह से उत्तर भारत में उत्पन्न होने वाले ज्यादातर उत्सर्जनकारी तत्व पूरब में पश्चिम बंगाल की तरफ बह जाते हैं, जो अंततः बंगाल की खाड़ी में गिरते हैं। इसीलिए सर्दियों के दौरान बंगाल सहित सभी पूर्वी भारतीय क्षेत्रों में दूसरे स्थानों से आया वायु प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा होता है और स्थानीय स्तर पर मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले उत्सर्जन से यह स्तर और ज्यादा बढ़ जाता है।
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य और आइआइटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी कहते हैं कि भौगोलिक स्थिति की वजह से सर्दियों में कोलकाता तथा देश के अन्य पूर्वी हिस्सों में वायु और प्रदूषित होने की प्रबल संभावना है। उत्तर पश्चिम से आने वाली हवाएं प्रदूषणकारी तत्वों को बिहार तथा बंगाल की तरफ धकेलेंगी। उत्तर भारत के विभिन्न इलाकों में होने वाली गतिविधियों का असर भी इन दोनों राज्यों में महसूस होगा क्योंकि पार्टिकुलेट मैटर हवा के साथ इन राज्यों में पहुंचता है। उत्तर पश्चिमी हवाएं संपूर्ण प्रदूषण को बंगाल की खाड़ी तक ले आएंगी जहां हवा की यह खराब गुणवत्ता कुछ समय के लिए बनी रह सकती है।