मदरसों के संचालन की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए: मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी
देवबंद: दारुल उलूम इस्लामी जगत की बड़ी शैक्षणिक संस्थान है, जिसके संदेश को मदरसों के लिए गाइड लाइन समझा जाता है। उसी दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम( VC) मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी (Mufti Abul Qasim Nomani) ने कहा कि मदरसों के संचालन की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। हिसाब किताब ऐसा हो कि उसमें उंगली रखने की गुंजाइश न हो और शिक्षा ऐसी हो कि संस्था का स्तर उठता चला जाए।
मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी गुरुवार को हाईवे स्थित मदरसा जकरिया देवबंद में आयोजित हुए कुल हिंद राब्ता ए मदारिस इस्लामिया (जोन नम्बर एक) के चौथे जलसे को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपसी सम्बंध जितने मजबूत होंगे मदरसों को उतनी ही मजबूती मिलेगी और हर समस्या का समाधान आसानी से हो जाएगा।
मुफ्ती अबुल कासिम ने कहा कि इस बात के हर सम्भव प्रयास करने चाहिए कि सभी मदरसों का पाठ्यक्रम एक जैसा हो और इसका एक उपाय यह है कि सभी मदरसों का पाठ्यक्रम दारुल उलूम देवबंद जैसा हो। मौलाना ने कहा कि यह भी तय होना चाहिए कि पाठ्यक्रम में शामिल कौन सी किताब किस महीने में पढ़ानी है और कब समाप्त करानी है। यह सब पहले से ही निर्धारित होना चाहिए। उन्होंने सभी मदरसा संचालकों से एक दूसरे की हर सम्भव मदद करने का भी आहवान किया।
कुल हिंद राब्ता ए मदारिस के नाजिम मौलाना शौकत अली बस्तवी ने कहा कि मदरसा प्रबंधतंत्र को चाहिए कि वह छात्रों की शिक्षा के लिए बहतर माहौल मुहैया कराए। उस्तादों को चाहिए कि वह छात्रों को कौम की अमानत समझें और पूरी महनत व लगन के साथ शिक्षण का कार्य करें। और छात्रों को चाहिए कि वह उस्तादों का भरपूर सम्मान करें और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित रखें।
दारुल उलूम के उस्तादे हदीस मौलाना करी उस्मान मंसूरपुरी (Qari Usman Mansoorpuri) ने कहा कि मदरसों का बुनियादी मकसद इस्लाम की हिफाजत है, जिस पर मदरसों को जमे रहना होगा। कहा कि इस्लाम के खिलाफ प्रोपगंडे और आए दिन उठने वाले फितनों को समझना और उनका जवाब देना उलेमा की जिम्मेदारी है।
जलसे में मदरसों के भीतरी निजाम से सम्बंधित विभिन्न तजावीज पेश की गई जिन पर जिम्मेदारों ने विचार विमर्श किया। इससे पूर्व जलसे का आगाज मौलाना जुबैर कासमी की तिलावत व हकीम लुकमान की नाते पाक से हुआ।