नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका भागवत कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर ने दाखिल की है। कोर्ट ने देवकी नंदन ठाकुर की याचिका को इसी मुद्दे पर पहले से लंबित याचिका के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है। ये आदेश न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने सोमवार को दिये।

याचिका में गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है। सोमवार को ठाकुर की याचिका जैसे ही सुनवाई पर आयी उनकी ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले से एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने इतना सुनने के बाद इस याचिका पर भी नोटिस जारी करते हुए मामले को पहले लंबित याचिका के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया। मालूम हो कि भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की एक याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग की गई है। उस याचिका पर कोर्ट पहले ही सरकार को नोटिस जारी कर चुका है और सरकार अपना जवाब भी दाखिल कर चुकी है।

देवकी नंदन ठाकुर ने याचिका दाखिल करने का कारण बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में 10 दिसंबर 2020 को दाखिल जवाब में यह कहा कि वह जबरदस्ती परिवार नियोजन लागू नहीं कर सकती और किसी के खिलाफ इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन संविधान की समवर्ती सूची का विषय है और सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए नियम,कानून और नीतियां बना सकती है। जनसंख्या विस्फोट लोकतंत्र और सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कहा है कि नागरिकों को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ और आश्रय, जीवनयापन, शिक्षा का अधिकार है और जनसंख्या नियंत्रण के बगैर इन अधिकारों को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। अभी 125 करोड़ भारतीयों के आधार कार्ड हैं जबकि करीब 20 फीसद यानी 25 करोड़ लोग बिना आधार कार्ड के हैं।

इसके अलावा करीब पांच करोड़ बांगलादेशी, रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से रह रहे हैं। इससे साफ होता है कि भारत की जनसंख्या 150 करोड़ से ज्यादा है और भारत जनसंख्या में चीन को पीछे छोड़ने वाला है। याचिका में कहा गया है कि हमारे पास अमेरिका की तुलना में एक तिहाई भूमि है जबकि जनसंख्या की दर अमेरिका की तुलना में आठ गुना है। अमेरिका में एक दिन में 10 हजार बच्चे जन्म लेते हैं जबकि भारत में एक दिन में 86000 बच्चे जन्म लेते हैं। जनसंख्या विस्फोट ज्यादातर समस्याओं की जड़ है। याचिका में वैकल्पिक मांग में कहा गया है कि विधि आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह दुनिया के विकसित देशों के जनसंख्या नियंत्रण कानून और नीतियों का अध्ययन करके भारत में जनसंख्या नियंत्रण के उपाय सुझाए, ताकि नागरिकों को स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल, भोजन, स्वास्थ्य, जीवनयापन, शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित हो सके।