पंजाब कांग्रेस में थमा नहीं घमासान, नेताओं के व्यक्तिगत एजेंडों पर पार्टी हाईकमान ने दिखाई सख्ती
- Punjab Congress Crisis पंजाब कांग्रेस में नेता अपने व्यक्तिगत एजेंडों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इस पर हाईकमान सख्त हो गया है। पार्टी प्रभारी हरीश चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे नेताओं से बात की है।
चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद कांग्रेस नेताओं का संगठित चेहरा सामने नहीं आने से पार्टी हाईकमान खिन्न है। कांग्रेस के विधायक सुखपाल खैहरा द्वारा प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को यह सलाह देना पार्टी को नागवार गुजरा।
खैहरा ने कहा था कि अगर हमारे नेता ईमानदार हैं तो चिंता क्यों? इसके अलावा खैहरा कांग्रेस के कार्यक्रमों से भी दूर हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा द्वारा कांग्रेस भवन का दरवाजा न खुलने से नाराज होकर जाना व व्यक्तिगत एजेंडों को आगे बढ़ाने को प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने गंभीरता से लिया है।
हरीश चौधरी ने इस संबंध में इन दोनों ही नेताओं से बात की है। पार्टी में चल रही इस खींचतान व 4 सितंबर को दिल्ली में होने वाली हल्ला बोल रैली को लेकर कांग्रेस भवन में विधायकों व पूर्व विधायकों बैठक में भी ‘व्यक्तिगत एजेंडा’ का मुद्दा उठा।
बैठक में हरीश चौधरी, प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा समेत पंजाब कांग्रेस के नेता मौजूद थे। हालांकि केरल दौरे पर होने के कारण सुखपाल खैहरा मौजूद नहीं थे, जबकि अबोहर के विधायक संदीप जाखड़ को पार्टी ने बैठक में आने का न्योता ही नहीं दिया था।
बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेताओं की आप के मुकाबले अधिक लोकप्रियता होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस पूरे चुनाव के दौरान कभी भी संगठित नहीं दिखाई दी। ऐसा अब दोबारा नहीं होना चाहिए।
हल्ला बोल रैली को लेकर बैठक में तय हुआ कि हरेक विधान सभा हलके से एक-एक बस दिल्ली जाएगी। वहीं, कुछ नेताओं द्वारा व्यक्तिगत एजेंडों को लेकर चलने वाले नेताओं का मुद्दा उठाया गया। जिसे प्रदेश प्रभारी ने गंभीरता से लिया।
हरीश चौधरी सुखपाल खैहरा से खासे खिन्न हैं, क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया। वह जीत भी गए, लेकिन जिस प्रकार से वह पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रह रहे हैं और भारत भूषण आशु के समर्थन में कांग्रेस द्वारा लुधियाना में विजिलेंस दफ्तर के बाहर दिए गए धरने को लेकर खैहरा ने प्रदेश प्रधान पर कमेंट्स किया, उससे पार्टी ने ज्यादा गंभीरता से लिया है।
बता दें, खैहरा ने अपनी बात रखने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने कहा था पंजाब में बेअदबी, किसानों की सुखकुशी, बाढ़, लंपी स्किन वायरस जैसे कई बड़े मुद्दे हैं। किसी एक व्यक्ति को डिफेंड करने के लिए हमें पार्टी कैडर की एनर्जी नहीं लगानी चाहिए। मैंने ईडी का सामना किया, क्योंकि मैं सच्चा था। इसके बाद भुलत्थ के लोगों ने मुझे वोट देकर विधान सभा भेजा। अगर हमारे नेता ईमानदार है तो फिर चिंता क्यों।
हालांकि प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग ने खैहरा को जवाब दिया था कि बिन मांगे सलाह न दे। बिन मांगे सलाह देने से कदर घट जाती है, लेकिन जिस प्रकार से खैहरा ने अपनी बात रखने के लिए इंटरनेट मीडिया का प्रयोग किया, इसे कांग्रेस ने गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय से खैहरा के लिए पार्टी में परेशानी बढ़ सकती है।