सामने आया यूपी के इन दागदार नेताओं का असली सच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जायज बता रहे लोग

सामने आया यूपी के इन दागदार नेताओं का असली सच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जायज बता रहे लोग

यूपी के बिजनौर जिले में भी दागदार ‘नेताजी’ चुनाव मैदान में ताल ठोंकने के साथ ही जीतकर सदन तक पहुंचते रहे हैं। दो विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए।

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में भी दागदार ‘नेताजी’ चुनाव मैदान में ताल ठोंकने के साथ ही जीतकर सदन तक पहुंचते रहे हैं। दो विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए। इनमें एक विधायक को तो काफी दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा है। लोगों का मानना है कि दागी नेताओं से दलों को दूरी बनानी चाहिए, ताकि साफ सुथरी छवि वाले नेता ही जनता की आवाज बनकर सदन में पहुंचें।

लोकसभा और विधानसभा के चुनाव मैदान में तमाम दागदार चेहरे उतरते हैं। कुछ को जनता नकार देती है, तो कुछ जीत दर्ज करके सदन तक पहुंच जाते हैं। कई तो ऐसे भी चेहरे रहे हैं जो चुनाव जीतने के बाद भी अपनी दागदार छवि के अनुरूप काम करते रहे हैं। बिजनौर में भी दो विधायकों ने चुनाव लड़ने के वक्त शपथ पत्र में अपने आपराधिक रिकॉर्ड का उल्लेख किया। नगीना के सपा विधायक मनोज पारस 12 साल पूर्व महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जेल गए। इस मामले की वजह से सपा सरकार के दौरान उन्हें मंत्री पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ी। वे काफी समय जेल में रहे।

इसके अलावा साल 2013 में जिला पंचायत के चुनाव के दौरान सपा प्रत्याशी नसरीन सैफी के चुनाव में ऋषिकेश के एक होटल से विजयवीरी पक्ष के कई सदस्यों के अपहरण के मामले में ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला थाने में मनोज पारस, पूर्व मंत्री मूलचंद चौहान, पूर्व सांसद यशवीर, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राशिद हुसैन, कांग्रेस जिलाध्यक्ष शेरबाज पठान सहित तमाम नेताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इस मामले में भी सपा नेताओं के साथ मनोज पारस को जेल जाना पड़ा था। धामपुर के भाजपा विधायक अशोक राणा पर भी आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक गैस एजेंसी के प्रोपराइटर का अपहरण करने के बाद पुलिस से हुए विवाद में अशोक राणा जेल जा चुके हैं।

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