नई दिल्ली । मानसून सत्र के दौरान सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि फिलहाल सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी करवाने के बाबत कोई फैसला नहीं किया है। उनके मुताबिक फिलहाल सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। राय की तरफ से ये जवाब सांसद निलिख खड़से द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया गया था। उन्होंने सरकार से जानना चाहा था कि क्या सरकार ने अनसूचित जनजनजातियों का अधिकृत डेटाबेस तैयार करने के लिए अलग से एनआरसी करवाने का प्रस्ताव है या नहीं। इसके जवाब में राय का कहना था कि इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने बताया है कि अभी तक देश में अवैध रूप से रहने वाले शरणार्थियों का केंद्रीय स्तर पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। रोहिंग्या शरणार्थियों के भी देश की सीमा के अंदर घुसने की खबरें हैं। साथ ही ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें ये गलत काम में संलिप्त हैं। इसको देखते हुए केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस दिशा में चौंकन्ना रहने को कहा है। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि वो इन लोगों की पहचान के लिए कानून लागू करवाने वाली एजेंसियों के अलावा खुफिया एजेंसियों कीभी मदद लेने को कहा है।
आपको बता दें कि एनआरसी के मुद्दे पर काफी विवाद रहा है। इसको लेकर सरकार पर विपक्ष भी सवाल उठते रहे हैं। आरएसएस पूर्व प्रमुख मोहन भागवत भी इसको लेकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने अपने असम दौरे के समय पर भी इस मुद्दे पर सफाई दी थी। उनका कहना था कि सीएए और एनआसी का कोई धार्मिक आधार नहीं है। इस दौरान उन्होंने विपक्षी पार्टियों को भी आड़े हाथों लिया था। उनका कहना था कि विपक्ष इस मुद्दे पर केवल अपना राजनीतिक हित साध रहे हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि वो इन दोनों मामलों को साम्प्रदायिक रंग दे रहे हैं और इस मुद्दे पर लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं। भागवत ने इस दौरान ये भी साफ किया था कि इस नागरिकता कानून के लागू होने के बाद देश के किसी भी मुस्लिम का कोई नुकसान नहीं होगा। ये केवल उनके लिए है जो लोग अवैध रूप से भारत में रहकर देश के संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।
इस दौरान उन्होंने सिटिजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी एंड सीएए-असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री पुस्तक का विमोचन भी किया था। भागवत ने कहा था कि आजादी के बाद देश की बागडोर संभालने वाले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि देश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यक समुदायों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। आरएसएस नेता ने कहा कि देश की भाजपा सरकार भी इसी को आगे बढ़ाना चाहती है।
उन्होंने ये भी कहा कि एनआरसी के बारे में ये जानने का अधिकार सभी के पास है कि आखिर देश के कौन नागरिक हैं। आपको बता दें कि उत्तर पूर्वी राज्य असम में इसको लेकर काफी बवाल भी हुआ था। पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्य, खासतौर पर बांग्लादेश की सीमा से से लगने वाले राज्यों में इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था।