जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर टिका जोशीमठ का भविष्य, केदारनाथ की तर्ज पर पुनर्निर्माण पर भी विचार
जोशीमठ के आपदाग्रस्त क्षेत्र में भूधंसाव के कारणों की तह तक जाने में जुटी हैं आधा दर्जन एजेंसियां। भूधंसाव की दृष्टि से पहली बार क्षेत्र में जियो टेक्निकल जियो फिजिकल व हाईड्रोलाजिकल जांच की जा रही है।
देहरादून। जोशीमठ का भविष्य अब आधा दर्जन एजेंसियों की जांच रिपोर्ट पर टिका है। जोशीमठ में भूधंसाव की दृष्टि से पहली बार जियो टेक्निकल, जियो फिजिकल व हाईड्रोलाजिकल समेत अन्य जांच कार्यों में ये एजेंसियां जुटी हुई हैं। इनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा और फिर इसके आधार पर जोशीमठ को बचाने अथवा पुनर्निर्माण के संबंध में कदम बढ़ाए जाएंगे।
मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट ने 1976 में ही चेताया था
1976 में मिश्रा कमेटी में आधिकारिक तौर पर ये बात उजागर हुई थी कि जोशीमठ में भूमि व भवनों में दरार पड़ रही है। इसके बाद से पिछले वर्ष तक कई रिपोर्ट आईं, लेकिन किसी पर अमल नहीं हुआ। अब खतरा बढ़ने पर तमाम एजेंसियों को समस्या की जड़ तक जाने के लिए मोर्चे पर झोंका गया है। सभी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे कदम उठाए जाएंगे। आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्र को बसाने की स्थिति बनी तो इसके लिए केदारनाथ की तर्ज पर पुनर्निर्माण किया जाएगा।
जोशीमठ में जांच में जुटे संस्थान
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ वैज्ञानिक भूगर्भीय दृष्टि से परीक्षण में जुटे हैं। रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान भवनों व भूमि में पड़ी दरारों का आकलन व निगरानी करने के साथ पंरिसंपत्तियों की क्षति का आकलन कर रहा है। एनजीआरआइ हैदराबाद जोशीमठ का जियो फिजिकल सर्वे कर रहा है। आइआइटी रुड़की के पास जियो टेक्निकल सर्वे की जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के विज्ञानी हाईड्रोलाजिकल जांच में जुटे हैं। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के विज्ञानी क्षेत्र में भूकंपीय दृष्टि से अध्ययन को तीन सिस्मोग्राफिक स्टेशन स्थापित कर दिए हैं, जिनसे आंकड़े मिलने शुरू हो गए हैं।