एक मुस्लिम वक्फ बोर्ड बनाने के प्रत्यावेदन पर निर्णय ले केंद्र व राज्य सरकार: हाईकोर्ट
लखनऊ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र व राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों को खत्म कर सिर्फ एक मुस्लिम वक्फ बनाए जाने की गुजारिश वाली जनहित याचिका पर याची के प्रत्यावेदन (अर्जी) पर गौर कर निपटारा करने के निर्देश दिए हैं।
अदालत ने कहा कि दोनों सरकारें वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों का पालन करके अर्जी पर कानून के मुताबिक गौर कर निर्णीत करें। शुक्रवार को यह अहम आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की खंडपीठ ने याची मसर्रत हुसैन की याचिका पर दिया।
याची ने प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों को खत्म कर वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 13(2) के तहत एक मुस्लिम वक्फ बोर्ड बनाने के निर्देश केंद्र व राज्य सरकार को दिए जाने का आग्रह किया था। याची का कहना था कि बीते 24 सितंबर को उसने इसके लिए एक प्रत्यावेदन सरकार को दिया था।
याची की दलील थी कि दो हालात से संतुष्टि के बाद धारा 13(2) के तहत राज्य सरकार अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड गठित कर सकती है। इनमें पहली यह है कि प्रदेश में सभी वक्फ के 15 फीसदी से ज्यादा शिया वक्फ हों अथवा शिया वक्फ की सम्पत्तियों की आमदनी प्रदेश की वक्फ संपत्तियों की कुल आय का 15 फीसदी से ज्यादा हो।
याची के वकील का कहना था कि वक्फ कानून में राज्य सरकार ने धारा 13(2) में दी गई उक्त शर्त का जब पालन नहीं किया तो उसने उक्त प्रत्यावेदन दिया जो अभी तक विचार किए जाने के लिए लंबित है।
सुनवाई के समय पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता क्यूएच रिजवी पेश हुए जबकि केंद्र व राज्य सरकार के वकील भी मौजूद रहे। अदालत ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किये बगैर याची के प्रत्यावेदन पर गौर कर निपटारा करने के निर्देश केंद्र व राज्य सरकार को दिए हैं।
अदालत ने कहा कि दोनों सरकारें वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों का पालन करके अर्जी पर कानून के मुताबिक गौर कर निर्णीत करें। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया।