गुजरात सरकार पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- अस्‍पतालों में से जुड़े तथ्‍यों पर पर्दा डालने की कोशिश

गुजरात सरकार पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- अस्‍पतालों में से जुड़े तथ्‍यों पर पर्दा डालने की कोशिश

नई दिल्‍ली । गुजरात स्‍थित कोविड अस्‍पताल में लगी आग में अब  राज्‍य सरकार घिरती नजर आ रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को  गुजरात स्‍थित निजी कोविड अस्‍पतालों में लगी आग के हादसों से जुड़े तथ्‍यों को छिपाने को लेकर गुजरात सरकार की खिंचाई की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजकोट में कोविड-19 अस्पताल में गुरुवार को आग लगने की घटना पर संज्ञान लिया और गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। इस घटना में पांच मरीजों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने बार बार इस तरह की घटनाएं होने के बावजूद इन्हें कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाने पर राज्‍य सरकार की तीखी आलोचना की। अगली सुनवाई गुरुवार को की जाएगी।

जस्‍टिस अशोक भूषण और जस्‍टिस आर सुभाष रेड्डी  और एमआर शाह ने गुजरात सरकार के वकील से कहा, ‘ हमने आपका पक्ष देखा। आपके अनुसार हर चीज सही है। जहां तक राज्‍य के अस्‍पतालों का सवाल है सब ठीक है।’ जस्‍टिस शाह ने गुजरात सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, ‘आग की दुर्घटना की जांच करने वाले आयोग की जहां तक बात है यह भी खत्‍म हो चुका है और राज्‍य सरकार का पक्ष भी अस्‍पताल में वायरिंग के स्‍टेटस को लेकर दिए गए आपके अपने इलेक्‍ट्रिकल इंजिनियरिंग ऑफिसर के बयान के विपरीत है।’

बेंच ने अगस्‍त में अहमदाबाद स्‍थित कोविड-19 अस्‍पताल में हुई आग की दुर्घटना का हवाला दिया जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी। जस्‍टिस ने कहा कि तथ्‍यों को छिपाने की कोई कोशिश नहीं की जानी चाहिए। बेंच ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से मामले की जांच करने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि मामले में उचित रिपोर्ट फाइल कराने की प्रक्रिया सुनिश्‍चित करें। मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को की जाएगी।

27 नवंबर को कोर्ट ने राजकोट अस्‍पताल में हुए आग की दुर्घटना का मामला उठाया था जिसमें 5 मरीजों की जलकर मौत हो गई थी। मामले की सुनवाई कर रहे जस्‍टिस अशोक भूषण, एमआर शाह  और जस्‍टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने इसपर हैरानी जताई थी। बेंच ने कहा कि इसके लिए गुजरात सरकार जवाबदेह है और इसमें केवल इंक्‍वायरी और रिपोर्ट नहीं हो सकती। इन आगजनी की घटनाओं के मद्देनजर अस्‍पतालों में फायर सेफ्टी के मामलों का हल कमिटी के गठन या कमिशन बनाने मात्र से खत्‍म न होने की बात कहते हुए जजों की बेंच ने कहा कि इसकी जगह सभी अस्‍पतालों के प्रांगण की जांच होनी चाहिए और इसके लिए जिम्‍मेवारी निश्‍चित की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा एक के बाद एक अस्‍पतालों में आग लगने के हादसे हो रहे हैं और इसे रोकने के लिए राज्‍य द्वारा किसी तरह का एक्‍शन नहीं लिया जा रहा है। कोर्ट ने 1 दिसंबर तक केंद्र व गुजरात से इसपर रेस्‍पांस देने को कहा था।