लॉकडाउन: भुखमरी झेल रहे मजदूर दिल्ली से पैदल निकले, सोनिया गांधी ने PM मोदी को पत्र लिखकर इन्हें घर पहुंचाने को कहा
- लॉकडाउन होने से दिहाड़ी मजदूरों के सामने भूखमरी की समस्या
- दिल्ली से कई मजदूर परिवार समेत पैदल ही यूपी, बिहार, राजस्थान हुए रवाना
- सोनिया गांधी ने पीएम को लिखा पत्र- मजदूरों और उनके परिवार के लिए इंतजाम करने को कहा
उन्होंने कहा, ‘लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों को पैदल जाने को मजबूर हैं क्योंकि सार्वजनिक परिवहन सेवा बंद है। बहुत सारे लोग अपने घरों एवं होटलों में हैं और उनके पास पैसे नहीं हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘मेरा आग्रह है कि रास्ते में फंसे लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श जारी किया जाए।’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार से रास्ते में फंसे लोगों की मदद का आग्रह किया। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘दिल्ली के बॉर्डर पर त्रासद स्थिति पैदा हो चुकी है। हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। कोई साधन नहीं, भोजन नहीं।’
सोनिया ने कोरोना के खिलाफ अपनी सांसद निधि के इस्तेमाल की घोषणा की
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में कोरोना वायरस से निपटने के प्रयास के तहत वहां की जिला अधिकारी से शुक्रवार को कहा कि संकट की इस घड़ी में स्थानीय जनता की मदद के लिए वह उनकी सांसद निधि का इस्तेमाल कर सकती हैं। उन्होंने रायबरेली की जिला अधिकारी शुभ्रा सक्सेना को लिखे पत्र में अपने क्षेत्र की जनता से यह अपील भी की है कि वो पूरी तरह सावधानी बरतें।
भुखमरी के शिकार न हो जाएं, पैदल ही चल दिया
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लॉकडाउन, रोजी-रोटी छिनने की वजह से इन मजदूरों को भुखमरी का डर सता रहा था। इनमें ज्यादातर प्रवासी दिहाड़ी मजदूर हैं या किसी फैक्ट्री में मामूली सैलरी पर काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान क्या खाएंगे, क्या पीएंगे यही सोचकर इन्होंने पैदल ही कूच कर दिया। ज्यादातर मजदूर यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के हैं।
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मजदूरों के पलायन की तस्वीरें सिर्फ दिल्ली से नहीं आ रहीं, बल्कि तमाम उन शहरों से आ रही हैं जहां बड़ी तादाद में दूसरे राज्यों से लोग रोजी-रोटी के लिए पहुंचे थे। हाइवेज पर हुजूम के रूप में ये मजदूर पैदल बढ़ रहे हैं। हालांकि, इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। मजदूरों को अगर सुरक्षित उनके घर नहीं भेजा गया या जहां वे हैं वहीं पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए उनके खाने-पीने, रहने का इंतजाम नहीं किया गया तो लॉकडाउन अपने उद्देश्यों में ही नाकाम हो जाएगा।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वे कही नहीं जाएं। केजरीवाल ने उनसे गुजारिश की है कि वे अपने घरों को न लौटें, दिल्ली में वे जहां भी हैं वहीं पर उनके खाने-पीने के इंतजाम किए जा रहे हैं।
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केजरीवाल ने पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों से कहा है कि वे दिल्ली की सीमा से बाहर न जाएं। उनकी सरकार और तमाम धार्मिक व सामाजिक संगठन उनके खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं।
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दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर ऐसे मजदूरों की भीड़ इकट्ठा है। भीड़ में कई ऐसे हैं, जिनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। कुछ के साथ तो दुधमुंहे बच्चे भी हैं।
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पलायन करने वाले ज्यादातर मजदूर यूपी, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों के हैं। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने संबंधित राज्यों की सरकारों से कहा है कि वे उनके यहां के प्रवासी मजदूरों के खाने-पीने, रहने का इंतजाम करें, इस पर आया खर्च वे चुका देंगे।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को कहा है कि वे मजदूरों के पलायन को रोकें। राज्यों को अडवाइजरी जारी कर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है राज्य सरकारें कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का पालन करते हुए प्रवासी कृषि मजदूरों, उद्योगों में लगे मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन को रोकें।
सोनिया ने कहा, ‘जिला प्रशासन से मेरी अपील है कि लोगों को सैनिटाइजर, मास्क और साबुन इत्यादि वितरित किए जाएं। दिहाड़ी मजदूरों, गरीबों और बेघर लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए। किसी भी बेसहारा को भूखा नहीं सोने दिया जाए।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘रायबरेली की जनता की प्रतिनिधि होने के नाते मुझसे जिस प्रकार का सहयोग चाहिए उसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूं।’ उन्होंने कहा, ‘जिला अधिकारी महोदया, रायबरेली की जनता की कोरोना आपदा से मदद के लिए जितने भी फंड की जरूरत हो वो आप निकाल सकती हैं। मैं इसकी संस्तुति देती हूं।’ दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य सांसदों ने भी अपने अपने क्षेत्रों में कोरोना से निपटने के लिए अपनी सांसद निधि के इस्तेमाल की घोषणा की है।