कानपुर। कांशीराम अस्पताल में मंगलवार दोपहर शर्मनाक घटना देखने को मिली। एक बेटा मां के इलाज के लिए डाक्टरों से मिन्नतें करता रहा, लेकिन डाक्टर उससे बोले, पहले पर्चा बनवाकर लाओ तब इलाज होगा। वह ओपीडी से इंमरजेंसी के बीच भटकता रहा। तब तक इलाज के अभाव में उसकी मां ने दम तोड़ दिया। बेटे को यहीं तक परेशान नहीं होना पड़ा।
सीएमएस के पास पहुंचे पीड़ित के गिरे हुए 13 हजार, काफी देर बैठाकर रखा
पर्चा बनवाने के लिए इधर-उधर भटकने की हड़बड़ाहट में उसकी जेब से 13 हजार रुपये गिर गए, जो कई लोगों के पास से होते हुए सीएमएस के पास पहुंचे, लेकिन सीएमएस ने भी उसे फटाकारते हुए काफी देर बैठाए रखा। बाद में जब पार्षद और पुलिस पहुंची। तब पुलिस के माध्यम से सीएमएस ने रुपये दिलाए। चकेरी के टटियन झनाका निवासी मजदूर आकाश के परिवार में 45 वर्षीय मां विजमा, पिता विनोद कुमार, पांच बहनें थीं। आकाश ने बताया कि मां के पित्त की थैली में पथरी बताई गई थी, लेकिन रुपये न होने के चलते परेशन नहीं करा पा रहा था। मंगलवार दोपहर मां को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। उनकी छाती में दर्द होने पर वह, पिता व चाची के साथ कांशीराम अस्पताल में लेकर पहुंचा था।
बंद मिला ओपीडी के पर्चा बनने वाले काउंटर
इलाज के लिए उसे 13 हजार रुपये बुआ ने दिए थे। कांशीराम अस्पताल में डाक्टर को दिखाने के दौरान उन्होंने पहले पर्चा बनवाने को कहा। वह ओपीडी के पर्चा बनने वाले काउंटर में पहुंचा तो वह बंद था। उसे इमरजेंसी में भेजा गया, लेकिन वहां पर बैठे व्यक्ति ने उन्हें ओपीडी से पर्चा बनवाने के लिए भेज दिया। वह डाक्टर के पास पहुंच मां का तब तक इलाज शुरू करने की मिन्नतें करता रहा। आरोप है कि डाक्टर ने पर्चा बनवने के लिए फिर इमरजेंसी भेजा। इस तरह कई बार वह इधर से उधर भटकता रहा। इलाज न मिलने के चलते उसकी मां की मौत हो गई।
एक तरफ रखा था मां का शव और कर्मचारी ने रजिस्टर में कराई इंट्री
आकाश का आरोप है कि अचानक से उसका हाथ जेब में पहुंचा तो 13 हजार रुपये गायब थे। कुछ लोगों से पूछने पर पता चला कि एक महिला को रुपये मिले हैं। वह उसके पास पहुंचा तो बताया कर्मचारी को दिए हैं। कर्मचारी के पास पहुंचा तो रजिस्टर में इंट्री कराई गई। नाम-पता, मोबाइल नंबर लिखवाया गया। वह मां का शव देखकर एक तरफ फफक रहा था तो दूसरी तरफ रुपये के लिए उससे जानकारी लेने के बाद उसे कुछ देर बाद आने को कहा गया। वह चिल्लाया तो कर्मचारी ने रुपये सीएमएस को दे दिए। आकाश वहां पहुंचा तो उसे रुपयों की जगह फटकार मिली। जानकारी पार्षद पति मनोज यादव मिली। तो वह भी पहुंच गए। उसके बाद सीएमएस ने पुलिस को सूचना दी और उनके व पार्षद के माध्यम से रुपये आकाश को दिए। कांशीराम अस्पताल के कर्मचारी और डाक्टरों का यह चेहरा देखकर आकाश का परिवार फफकता रहा।
अस्पताल में एक महिला को काउंटर के पास रुपये मिले थे। उसने रुपये कर्मचारी को दे दिए। युवक के साथ वहां कई और भी लोग थे। सही हाथ में रुपये जाएं। इसके लिए पुलिस से सत्यापन कराने के बाद रुपये युवक को दिलाए गए हैं। उसके आरोप झूठे हैं। इलाज के अभाव में युवक की मां की मौत होने की जानकारी नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता है।