‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे’ सहारनपुर की काव्यात्मक सम्पदा: सुधा

‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे’ सहारनपुर की काव्यात्मक सम्पदा: सुधा
  • सहारनपुर में काव्य संग्रह का लोकार्पण करते साहित्य मनीषी।

सहारनपुर [24CN]। नगर की प्रमुख साहित्यिक संस्था ‘समन्वय के तत्वावधान में प्रख्यात कवि विनोद भृंग द्वारा संपादित कृति ‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे (सहारनपुर की काव्य-यात्रा) का लोकार्पण यहां स्वामी रामतीर्थ केंद्र में योग गुरु पद्मश्री भारत भूषण, साहित्यकार डॉ. सम्राट सुधा, डॉ.वीरेन्द्र आजम व समन्वय के अध्यक्ष डॉ. ओपी गौड़ ने किया। मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वल और गीतकार डॉ विजेन्द्रपाल शर्मा की वाणी-वंदना से समारोह का शुभारंभ हुआ।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए रुड़की से पधारे प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सम्राट् सुधा ने कहा कि विनोद भृंग द्वारा सम्पादित काव्य.संग्रह ‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे सहारनपुर की काव्यात्मक सम्पदा व काव्यात्मक इतिहास को सुंदर रूप में उपस्थित करता है। यह संग्रह नगर का काव्य.प्रतिबिंब भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे काव्य.संग्रहों का सम्पादन बहुत अध्यवसाय से ही सम्भव है। समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री भारत भूषण ने कहा कि काव्य हमेशा से भावों के समंदर से उमड़ता रहा है जिसमे विद्वत्ता और निरक्षरता का कोई भेद नहीं। ऐसे में सहारनपुर के लंबे साहित्यिक योगदान को एक ग्रंथ में समेटकर वर्तमान बना कर अमर रचनाकार महेश दत्त रंक की परंपरा के कवि विनोद भृंग द्वारा ‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे का संकलन अपनी तरह का एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने कहा कि शोध छात्रों के लिए उपयोगी ग्रंथ है।

मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ वीरेन्द्र आजम ने कहा कि ‘गंध तुम्हारी छंद तुम्हारे संग्रह उनके शुभ संकल्पों, पवित्र संस्कारों और पावन परम्पराओं का कलश है। यह उन रश्मियों का प्रकाश पुंज है जिनके आलोक में सहारनपुर ही नहीं देशभर का हिंदी जगत दिपदिपा रहा है। इसमें परलोकगामी साहित्यकारों के साहित्य की सुवास भी है और वर्तमान में साहित्य सृजन कर रहे साहित्यकारों के साहित्य की सुरभि भी। संपादन की दृष्टि से यह अदूष्य है, कोई दोष इस पर नहीं लगाया जा सकता। विनोद भृंग की यह अनुपम संपादन कृति सहारनपुर हिन्दी साहित्य की परिक्रमा है। डा. विपिन कुमार गिरि ने अतिथियों का स्वागत, राजीव उपाध्याय यायावर ने कवि विनोद भंृग का परिचय प्रस्तुत किया दिया।

कवि हरिराम पथिक ने सम्मानपत्र का वाचन और श्रीमती जया वशिष्ठ, नरेन्द्र मस्ताना एवं कु.अक्षरा उपाध्याय ने दिवंगत रचनाकारों की कविताएं प्रस्तुत की। संचालन डॉ. आर.पी. सारस्वत ने तथा अध्यक्ष ओ.पी. गौड़ ने आभार व्यक्त किया। समारोह में डॉ. बी के गुप्ता, डॉ.अजय जैन, रमेश चंद्र छबीला, सुनील जैन राना, रामकुमार शर्मा, पं. रोहित वशिष्ठ, अरविंद मित्तल, सर्वेश्वर प्रभाकर, गंगेश्वर प्रभाकर, आशुतोष शर्मा, हेम शलभ, सुनील वशिष्ठ, कांता शर्मा, वीणा सारस्वत, डॉ.सुमेधा नीरज, रेखा, विजय शर्मा व शांति देवी आदि मौजूद रहे।