ओपी राजभर को बड़ा झटका देने वाले शशि प्रताप सिंह ने अखिलेश यादव से की मुलाकात, बनाई है अलग पार्टी

ओपी राजभर को बड़ा झटका देने वाले शशि प्रताप सिंह ने अखिलेश यादव से की मुलाकात, बनाई है अलग पार्टी
  • नवगठित राष्ट्रीय समता पार्टी के राष्ट्रिय संयोजक शशि प्रताप सिंह लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष सपा अखिलेश यादव से मुलाकात की है। शशि प्रताप सिंह ने कहा कि सपा अध्यक्ष बहुत अच्छे आदमी हैं और आगे भी बहुत अच्छा करेंगे।

लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) को झटका देकर अपनी पार्टी बनाने वाले शशि प्रताप सिंह सोमवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से मुलाकात की है। शशि प्रताप सिंह ने पिछले दिनों राष्ट्रीय समता पार्टी का नाम से अपनी नई पार्टी बना ली थी। बतौर राष्ट्रीय संयोजक शशिप्रताप लगातार पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय समता पार्टी के अध्यक्ष कैप्टन राजकुमार भी साथ रहे।

लखनऊ में अखिलेश यादव के आवास पर हुई इस मुलाकात को यूपी में होने वाले नगर निकाय चुनाव की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव पूरे दमदारी से लड़ने की तैयारी कर रखी है। यह निकाय के लिए पिछले ही हफ्ते प्रभारियों की नियुक्ति की गई है। इसके लिए विधायकों और पूर्व मंत्रियों को जिम्मेदारियां दी गई हैं।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद शशि प्रताप सिंह ने बताया कि उनके बुलावे पर मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष बहुत अच्छे आदमी हैं और आगे भी बहुत अच्छा करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा है कि हम लोग एक साथ आ जाएं। आप भी युवा हैं और हम भी युवा हैं। आगे जितने भी चुनाव होंगे मिलकर लड़ेंगे। आपकी पार्टी नई है, हम लोग मिलकर चलेंगे तो इसका फायदा होगा। सुभासपा छोड़ने को लेकर शशिप्रताप ने एक बार फिर दोहराया कि ओपी राजभर के बयानों के कारण ही पार्टी छोड़नी पड़ी है।

ओपी राजभर पर आरोप लगाते हुए शशिप्रताप ने कहा कि वह पुत्र मोह में फंसे हैं। सुभासपा को बर्बाद कर रहे थे। सुभासपा छोड़ने के बाद अखिलेश यादव ने मेरी पार्टी के बारे में सुना। इसके बाद इसके बाद मुझे मिलने के लिए बुलाया था।

उन्होंने कहा कि सपा ने ओपी राजभर को विधानसभा चुनाव में 16 सीटें दी थी। इनमें तीन पर अपने लोगों को लड़ाया। अन्य सीटों को बेच दिया। उन्होंने कहा कि वाराणसी की शिवपुर सीट पर बेटे की जगह किसी राजपूत या ब्राह्मण को लड़ाया जाता तो वह जीत सकते थे।