संत समिति ने गृहमंत्री को भेजा पत्र, संतों की हत्या मामले में रोहिंग्या व बांग्लादेशियों पर जताया संदेह

संत समिति ने गृहमंत्री को भेजा पत्र, संतों की हत्या मामले में रोहिंग्या व बांग्लादेशियों पर जताया संदेह

वाराणसीः महाराष्ट्र में जूना अखाड़े के दो संतों व वाहन चालक की हत्या मामले में अखिल भारतीय संत समिति ने गृहमंत्री को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की एनआइए या सीबीआइ से जांच की मांग की है। समिति ने संतों व वाहन चालक की हत्या में रोहिंग्या व अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर संदेह जताया है।

अवैध रोहिंग्या व बांग्लादेशियों पर जताया संदेह
समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने पूरी घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि 22 बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी और उपलब्ध वीडियो में 27वें सेकेंड पर अहोमिया, बांग्लादेशी शब्दों का प्रयोग हुआ है जैसे बोहीथाक (बैठो) बालोर, थेकोर, मोरी थाकिल (मर गया) बस-बस, सेइलाहेती आदि यह साबित करता है कि कहीं न कहीं कडिय़ां रोहिंग्या व अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से संबंधित है।  उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि भोले भाले आदिवासियों पर महाराष्ट्र सरकार घटना को इसलिए थोपना चाहती है कि उनकी आड़ में नक्सली, क्रिप्टो क्रिश्चियन, अवैध घुसपैठिए, रोहिंग्या मुसलमानों को बचाया जा सके। ऐसे में निष्पक्ष जांच बहुत जरूरी है।

पत्र में जीतेन्द्रानंद ने यह उठाया सवाल
गृहमंत्री को भेजे पत्र में स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने यह सवाल भी उठाया कि आखिर लॉकडाउन में 300 लोगों की भीड़ कैसे जुट गई। संतों ने पुलिस को फोन कर बुलाया या पुलिस ने उन्हें रोका था। पुलिस ने संतों को गाड़ी से निकाल कर भीड़ को क्यों सौंपा। संत पीटे जा रहे थे और पुलिस हाथ छुड़ा कर क्यों भाग रही थी। हवाई फायर या बल प्रयोग क्यों नहीं किया गया। संतों को मारने वाले लोग कौन हैं और उनकी पृष्ठभूमि क्या है। ऐसे कई सवालों के साथ संत समिति ने जूना अखाड़े के महाराष्ट्र कूच के निर्णय समेत हर कदम में साथ होने का भरोसा दिया है। कहा महाराष्ट्र सरकार न्यायोचित कदम नहीं उठाती है तो देश भर में आंदोलन होगा।


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