नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस विवाद पर शुरू से ही तटस्थ रहने की अपनी नीति को जारी रखते हुए भारत ने यूक्रेन के बूचा में बड़ी संख्या में आम नागरिकों के मारे जाने की घटना पर रूस को आड़े हाथों लिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में यूक्रेन पर बुलाई गई बैठक में भारत ने बूचा में नागरिकों के मारे जाने की घटना को काफी परेशान करने वाला बताया और इसकी स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।

रूस के खिलाफ भारत की तल्ख टिप्पणी

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने अपने बयान में सीधे तौर पर रूस का नाम नहीं लिया फिर भी 22 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमले के बाद उसके खिलाफ भारत की तरफ से की गई यह सबसे तल्ख टिप्पणी है। यूएनएससी की इस बैठक को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी संबोधित किया। जेलेंस्की ने रूस की तरफ से किए जा रहे नरसंहार की तुलना आतंकी संगठनों से किया और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से आह्वान किया कि या तो वो कार्रवाई करें या संयुक्त राष्ट्र को भंग कर दे।

यूक्रेन की स्थिति में कोई सुधार नहीं

तिरुमूर्ति ने कहा कि यूएनएससी में यूक्रेन विवाद पर पिछली बार चर्चा किए जाने के बाद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। वहां सुरक्षा की स्थिति न सिर्फ खराब हुई है बल्कि मानवीय स्थिति भी बिगड़ी है। हाल ही में बूचा में नागरिकों के मारे जाने की जो रिपोर्ट आई हैं वह काफी व्यथित करने वाली है। हम इस घटना की निंदा करते हैं और इसकी स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ज्यादा सकारात्मक रवैया अपनाएगी। भारत ने वहां मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित कराने की भी मांग की है। साथ ही भारत की तरफ से ज्यादा मदद देने का भी प्रस्ताव रखा है। तिरुमूर्ति ने भारत की तरफ से पूरे हालात पर गंभीर चिंता जताते हुए पुरानी मांग दोहराई कि हालात सुधारने के लिए कूटनीति और वार्ता ही एकमात्र रास्ता है। भारतीय राजदूत ने पूरे घटनाक्रम से दुनिया के दूसरे हिस्सों पर हो रहे असर और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों का भी उल्लेख किया।

रूस को घेरने के लिए भारत पर दबाव

गत डेढ़ महीने में भारत में रूस को घेरने के लिए अमेरिका व पश्चिमी देशों की तरफ से लाए गए कई प्रस्तावों पर अनुपस्थित रह कर रूस को परोक्ष तौर पर समर्थन दे चुका है जबकि एक मौके पर भारत ने रूस की तरफ से लाए गए प्रस्ताव में अनुपस्थित रहा था। भारत शुरू से कहता रहा है कि वह यूक्रेन-रूस विवाद पर तटस्थ रहने की नीति पर कायम रहेगा। यह बात पिछले दिनों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्य सभा में यूक्रेन पर चर्चा का जवाब देते हुए भी कही थी। मंगलवार (पांच अप्रैल) को लोकसभा में यूक्रेन पर चर्चा के दौरान भी सभी दलों में तकरीबन यह आम राय थी कि भारत को तटस्थ रहने की नीति पर ही बने रहना चाहिए।

अगले हफ्ते अमेरिका में मंत्रिस्तरिय टू प्लस टू वार्ता

बहरहाल, यह भी ध्यान रहे कि भारत के इस बयान से ठीक पहले विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की थी। यह कोई छिपी बात नहीं है कि अमेरिका की तरफ से भारत पर बहुत ज्यादा दबाव है कि वह रूस को लेकर अपनी नीति बदले। मंगलवार को अमेरिकी विदेशी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा भी कि अमेरिका चाहेगा कि भारत रूस से ज्यादा ईंधन नहीं खरीदे। अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता भी है और यह भी तय है कि वहां भी भारत पर रूस को लेकर दबाव बनेगा। पिछले कुछ दिनों के दौरान कई विदेशी मेहमानों ने दिल्ली का दौरा कर भारत पर दबाव बनाया है।