Ram Mandir Ayodhya: रामलला की अक्षत पूजा के साथ शुरू हो जाएगा प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान

Ram Mandir Ayodhya: रामलला की अक्षत पूजा के साथ शुरू हो जाएगा प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान

अयोध्याः रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां तेज हो गई हैं। 5 नवंबर को हल्दी से रंगे अक्षत को रामलला को समर्पित किया जाएगा। साथ ही अक्षत का वितरण 45 प्रांतों में किया जाएगा। मौके पर ही सभी प्रांतों से बुलाए गए प्रतिनिधियों को अक्षत समर्पित कर दिया जाएगा। प्रतिनिधि पूजित अक्षत के कलशों को लेकर उसी दिन अपने केंद्रों के लिए रवाना हो जाएंगे, जहां से जिले की टीम से मंडलों ऑर ब्लॉकों से होता हुआ अक्षत गांव के मंदिरों तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। राम मंदिर में यह पहना अनुष्ठान होगा।
इस अभियान में संघ परिवार की वही टीमें लगाई गई हैं, जो निधि समर्पण अभियान में लगाई गई थीं। VHP के केंद्रीय उपाध्‍यक्ष और राममंदिर ट्रस्‍ट के ट्रस्‍टी कामेश्‍वर चौपाल के मुताबिक प्रयास यह है कि एक सप्‍ताह के अंदर गांवों तक पूजित अक्षत पहुंच जाएं। उसके बाद 1 जनवरी से 15 जनवरी तक महाअभियान चलेगा, जिसमें करीब 10 करोड़ परिवारों तक सीधे संपर्क कर उन्हें निर्धारित दर्शन कार्यक्रम के मुताबिक अयोध्‍या में राम लला के दर्शन के आमंत्रित किया जाएगा। राम लला के दर्शन का यह कार्यक्रम 26 जनवरी से शुरू होकर 48 दिनों तक चलेगा ।

क्या है अक्षत पूजा

जानकारी के मुताबिक, 100 क्विंटल अक्षत यानी कि चावल के साथ एक क्विंटल हल्दी मिलाई जाएगी। फिर इसे पीतल के कलश में रखा जाएगा। इसकी पूजा के साथ कलश को भगवान राम के दरबार में रखा जाएगा। बाद में प्रसाद के तौर पर इसे 62 करोड़ भक्तों तक पहुंचाया जाएगा। इसका वितरण विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता 45 प्रांतों में करेंगे। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्र के मुताबिक पूजित अक्षत कलश में रखकर प्रांतों के केंद्र प्रतिनिधियों को बिना तौल किए सौंपा जाएगा। उन्‍होंने कहा कि अक्षत किसी को निमंत्रित करने का एक साधन मात्र होता है। इसे तौल कर नहीं वितरित किया जाता। इसका वजन कलशों में कम ज्यादा हो सकता है।

इंजिनियर, खगोल विज्ञानी तय करेंगे रामलला के आसन की ऊंचाई
डॉ मिश्र ने बताया कि राम लला के तीनों विग्रह जल्द तैयार हो जाएंगे। इनमें से एक सबसे लुभावने विग्रह का चयन किया जाएगा। इसे राम मंदिर के गर्भ गृह में पीएम मोदी की उपस्थिति में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 51 इंच लंबे रामलला के ऊपर मुकुट और नीचे आसन का प्लेटफॉर्म बनेगा। इसकी लंबाई का आकलन रामलला का विग्रह बनने के बाद इंजिनियर आर्किटेक्ट और खगोलीय विज्ञानी की टीम पूरी तरह से नाप-जोख करने के बाद तय करेगी।

उन्होंने बताया कि रामनवमी के शुभ मुहूर्त में जब राम लला का जन्म होगा तो सूर्य की किरणें उनके ललाट पर पड़े, इसकी व्यवस्था इंजिनियरिंग टीम और खगोलीय विज्ञानी कर रहे हैं। इसमें बहुत बारीकी से रामलला की प्रतिमा के साथ इसकी ऊंचाई का एडजस्टमेंट करना होगा। थोड़ी सी कमी होने पर राम लला के मुखमंडल पर रामनवमी को दोपहर सूर्य देव की किरण पड़ने में दिक्कत आ सकती है।

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