राजस्थान CM गहलोत- केंद्र ने किसानों से बातचीत शुरू करने में काफी देरी कर दी
जयपुर : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन विशाल रूप धारण करता जा रहा है. बड़ी संख्या में प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली की ओर रूख कर रहे हैं, ऐसे में केंद्र किसानों से समाधान के लिए बातचीत कर रही है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बातचीत के लिए बुलाना सही कदम लेकिन काफी देर हो चुकी है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को किसानों के मुद्दे हल करने के मामले में केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने इसमें काफी देरी कर दी है. किसानों को बातचीत के लिए बुलाना सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन अब काफी देर हो चुकी है. मुख्यमंत्री गहलोत ने भी कहा कि किसानों के आंदोलन को लेकर सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि बाहर भी चिंता बढ़ रही है.
गहलोत ने कहा, ‘बातचीत के लिए किसान यूनियनों को केंद्र का निमंत्रण सही दिशा में उठाया गया एक कदम है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है. उन्होंने कहा कि किसानों के विरोध को लेकर देश में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी चिंता बढ़ रही है, जहां भारतीय मूल के व्यक्तियों की एक बड़ी आबादी रहती है. पीएम मोदी को इस गतिरोध को दूर करने का बीड़ा उठाना चाहिए. किसानों की वास्तविक मांगों को पूरा किया जाना चाहिए.
इस बीच मंगलवार को केंद्र सरकार और किसान नेताओं की बातचीत हुई, जो बेनतीजा रही. यह बैठक दोपहर 3 बजे शुरू हुई जो शाम 7 बजे खत्म हुई. सरकार ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.
दूसरी ओर, राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह दोत्सारा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून कॉर्पोरेट मित्रों की मदद करने के लिए हैं, न कि किसानों के लिए.
नए कानून से कालाबाजारी बढ़ेगीः प्रदेश अध्यक्ष
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया है, किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है. सात साल बाद भी किसानों को उनकी लागत पर 50% लाभ नहीं मिल रहा है और अब किसानों पर तीन काले कानून लाए गए हैं. एमएसपी और मंडी की व्यवस्था खत्म करने से कालाबाजारी बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि अनाज पैदा करने वाले किसानों का अपमान किया जा रहा है, उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत नहीं दी गई. बातचीत के लिए, टेलीफोन पर या ट्वीट के जरिए कहा जा रहा है जबकि किसानों की 70% आबादी गांवों में बसती है. यह सब कुछ उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए है.
इससे पहले अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछले महीने नवंबर में बिना किसी देरी के प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत शुरू करने को कहा था. राज्य की कांग्रेस सरकार भी इन कृषि कानूनों का विरोध कर रही है.