पशुपति ने भतीजे चिराग पर बोला हमला, पूछा- किस अधिकार से पार्टी से निकाला
- पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान ने किस हैसियत से उन्हें और अन्य सांसदों को पार्टी से बाहर किया है
पटना: लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही सियासी खींचतान की वजह से बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. चिराग पासवान ने लोजपा वर्किंग कमेटी की वर्चुअल बैठक कर अपने चाचा पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को निलंबित कर दिया है. चिराग पासवान के इस कदम से पशुपति पारस ने बुरी तरह भड़क गए हैं. उन्होंने कहा कि चिराग पासवान ने किस हैसियत से उन्हें और अन्य सांसदों को पार्टी से बाहर किया है. पशुपति ने कहा कि उनको पहले नियम की जानकारी होनी चाहिए. आपको बता दें कि पशुपति पारस का कहना है कि चिराग पासवान के पास सांसदों को पार्टी से बाहर करने का कोई अधिकारी नहीं है. पशुपति ने चिराग पासवान को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि क्या वर्किंग कमेटी की लिस्ट उनके पास है? उन्होंने वर्किंग कमेटी की बैठक भी गलत तरीके से की है. 17 जून को सर्वसम्मति से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा.
उन्होंने कहा किपार्टी में 99 प्रतिशत लोग वर्तमान अध्यक्ष के आचार-विचारों से परेशान थे. इसलिए नेतृत्व परिवर्तन अनिवार्य हो गया था। आपको बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में अपने वर्चस्व के लिए चाचा-भतीजे में घमासान जारी है. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में किसकी चलेगी, फिलहाल ये साफ होता दिख नहीं रहा है. मंगलवार को चिराग पासवान ( Chirag Paswan ) को संसदीय दल के नेता के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया. चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) समर्थित नेताओं ने LJP संविधान का हवाला देते हुए चिराग ( Chirag Paswan ) को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया. उनका कहना था कि चिराग तीन-तीन पदों पर एक साथ काबिज थे. चिराग पासवान ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और पांचों सांसदों को निलंबित कर दिया.
अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को निशाने पर लेते हुए चिराग पासवान ने यह भी लिखा है कि 2019 में रामचंद्र चाचा के निधन के बाद से ही आप में बदलाव देख रहा था. प्रिंस को जब जिम्मेदारी दी गई तब भी आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. पापा ने पार्टी को आगे बढाने के लिए मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया तो इस फैसले पर भी आपकी नाराजगी रही. चिराग ने पत्र लिखकर यह बताने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने पार्टी व परिवार में एकता रखने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें असफल रहें.