प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल हैकिंग पर संसदीय समिति ने की पूछताछ, IT मंत्रालय के जवाब से नाखुश

- संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) मंत्रालय के शीर्ष अफसरों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ट्विटर हैंडल की हैकिंग और पेगासस मामले के बारे में पूछताछ की।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) मंत्रालय के शीर्ष अफसरों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ट्विटर हैंडल की हैकिंग और पेगासस मामले के बारे में पूछताछ की।
समिति के सदस्यों ने जब प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट की हैकिंग की बाबत पूछा तो अधिकारियों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था और वही बातें बताईं जो पहले से सार्वजनिक हैं। समिति के सूत्रों ने एएनआइ को बताया कि समिति के अधिकारियों ने MeitY (Ministry of Electronics and Information Technology) से पूछताछ की। उनसे प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट हैकिंग के पीछे का कारण पूछा गया। MeitY के अधिकारियों ने समिति से कहा, ‘मामले में जांच जारी है।’
डिजिटल स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा समेत नागरिक अधिकारों की सुरक्षा, इंटरनेट या आनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफार्मो का दुरुपयोग रोकने के विषय पर उक्त अफसर समिति के समक्ष पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक, कार्यवाही के दौरान थरूर ने पेगासस के इस्तेमाल के बारे में सवाल किए, इस पर अफसरों ने कहा कि यह मामला अदालत के विचाराधीन है। जब थरूर ने इस मामले से उनसे सहयोग मांगा तो अधिकारियों ने यह कहते हुए जवाब देने से इन्कार कर दिया कि उनके पास इस मामले में बताने के लिए कुछ नहीं है।
हैकर्स ने किया ये ट्वीट-
रविवार, 12 दिसंबर की सुबह 2.11 बजे प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक स्पैम ट्वीट किया गया। ट्वीट में कहा गया, ‘भारत ने आधिकारिक रूप से बिटक्वाइन को कानूनी स्वीकार्यता दे दी है। सरकार ने आधिकारिक रूप से 500 बिटक्वाइन खरीदे हैं और देश के सभी नागरिकों में बांट रही है। जल्दी करें india…… भविष्य आज आया है!’
प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट के हैकिंग की खबर से सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच सनसनी फैल गई। यूजर्स कहने लगेलगे जब प्रधानमंत्री का अकाउंट सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी के साथ क्या हो सकता है… इस तरह की प्रतिक्रियाएं ट्विटर पर वायरल हो गई। साल 2020 के सितंबर में भी प्रधानमंत्री की वेबसाइट narendramodi.in के ट्विटर अकाउंट के साथ भी ऐसा ही हुआ था और इसके फालोअर्स से राहत कोष में ‘क्रिप्टोकरेंसी’ डोनेट करने को कहा गया था।