पाक सरकार पर भारी पड़ेगा कोरोना, इमरान खान के तख्तापलट की संभावना बढ़ी
पाकिस्तान में कोरोना वायरस का कहर इमरान खान सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। कोरोना संकट प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी को हिला कर रख दिया है…
इस्लामाबादः पाकिस्तान में कोरोना वायरस का कहर इमरान खान सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। कोरोना संकट प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी को हिला कर रख दिया है जिससे एक बार फिर पाकिस्तान में तख्तापलट की संभावना बढ़ गई है। दरअसल, पाकस्तान में कोरोना वायरस से निपटने के प्रयासों में इमरान खान की विफलता ने पाकिस्तान आर्मी को उन पर हावी होने का मौका दे दिया है और अब सेना के सामने इमरान की एक भी नहीं चल पा रही है। बता दें कि पाकिस्तान में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 12500 हो गई है। इमरान खान की कुर्सी पर तब संकट के बादल और गहरा गए, जब इमरान खान के पाकिस्तान में लॉकडाउन नहीं करने के फैसले को फौज ने पलट कर रख दिया था।
22 मार्च को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश के नाम अपने संबोधन में देशव्यापी लॉकडाउन न करने के कारणों को बताया था। इमरान खान ने कहा था कि ऐसा करने पर लाखों लोग अपनी नौकरी खो देंगे और उन परिवारों को और ज्यादा प्रभावित करेंगे, जो गरीबी रेखा से नीचे हैं, जो भूख मिटाने के लिए पर्याप्त भोजन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मगर महज 24 घंटे के भीतर ही पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने इमरान खान के फैसलों को पलटते हुए पाकिस्तान में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। जैसे ही पाकिस्तान में लॉकडाउन का ऐलान हुआ पूरे देश में सेना की तैनाती कर दी गई और अब सेना राष्ट्रीय कोर समिति के माध्यम से कोविड-19 से निपटने के लिए उपायों पर दिशा-निर्देश जारी कर रही है।
फाइनेंशियल टाइम्स ने एक अनाम रिटायर्ड जनरल के हवाले से कहा कि इमरान सरकार कोरोना वायरस को संभालने में एक तरह से नाकामयाब रही है। इमरान खान ने कोरोना से जंग में एक बड़ा गैप बना दिया, यही वजह है कि सेना ने उस अंतर को भरने की कोशिश की है। इसके अलावा, कोई विकल्प नहीं था। कोरोना संकट ने एक बार फिर से पाकिस्तान में यह सवाल पैदा कर दिया है कि आखिर फैसले अब कौन ले रहा है, सेना या साल 2018 में सत्ता में आए इमरान खान। बता दें कि सेना के सहयोग से ही इमरान खान सत्ता में आए थे।
सैन्यबलों ने कोरोना वायरस के इस संकट को एक अवसर के रूप में लिया है, जो इमरान खान की क्षमताओं पर सवाल खड़े कर रही है। इससे पहले इमरान खान के युवाओं को आगे आने और कोरोना रिलीफ टाइगर्स फोर्स में शामिल होने की अपील की थी, जिस पर उनका काफी मजाक उड़ा था।विश्लेषकों का मानना है कि कोरोना वायरस पर कुछ कारगर न कर पाना जनरलों की नजर में इमरान खान के लिए एक और नीतिगत विफलता है। इसके अलावा क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान कश्मीर के मुद्दे पर बार-बार विश्व समुदाय का ध्यान खिंचने में नाकाम रहे हैं और अपने देश को आतंकी फंडिंग के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ से निकालने में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को समझाने में भी वह संघर्ष करते रहे हैं।