छोटा गठबंधन-बड़ा फायदा, यूपी में BJP का फॉर्मूला अपना रहीं विपक्षी पार्टियां

छोटा गठबंधन-बड़ा फायदा, यूपी में BJP का फॉर्मूला अपना रहीं विपक्षी पार्टियां

नई दिल्ली  : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही अभी सवा साल का समय बाकी हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने-अपने सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी के गठबंधन फॉर्मूले पर ही सूबे की प्रमुख विपक्षी पार्टियां चलती दिख रही हैं. सपा-बसपा और कांग्रेस आपस में हाथ मिलाने के बजाय छोटे दलों के साथ हाथ मिला रही हैं. बीजेपी ने इसी रणनीति के तहत पिछले चुनावी में यूपी की सियासी जंग फतह की थी, अब देखना है कि विपक्षी पार्टियां क्या राजनीतिक गुल खिलाती हैं?

सपा की इन दलों के साथ केमिस्ट्री

सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब बड़े दलों के बजाय छोटे दलों के साथ हाथ मिलाने के फॉर्मूले को लेकर चल रहे हैं. अखिलेश यादव लगातार यह बात कह रहे हैं कि 2022 में बसपा और कांग्रेस जैसे दलों के साथ गठबंधन करने के बजाय छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे. इस कड़ी में सपा ने महान दल के साथ हाथ मिलाया है और हाल ही में हुए उपचुनाव में चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोकदल के लिए एक सीट छोड़ी थी, जिसके यह संकेत हैं कि आगे भी वह अजित सिंह के साथ तालमेल कर सकते हैं.

लोकसभा चुनाव में जनवादी पार्टी के संजय चौहान, सपा के चुनाव निशान पर चंदौली में चुनाव लड़कर हार चुक‍े हैं और वह भी अखिलेश यादव के साथ सक्रिय हैं. इसके अलावा अखिलेश ने सपा से विद्रोह कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव की सीट पर 2022 में प्रत्याशी न उतारने की बात कह कर साफ कर चुके हैं कि उन्हें भी अडजस्ट किया जा सकता है.