लॉकडाउन के साइड इफेक्ट, DA फ्रीज होने के बाद अब ट्रांसपोर्ट अलाउंस का नंबर?

- कर्मचारियों को सता रहा है डर कि कहीं लॉकडाउन के कारण ट्रांसपॉर्ट अलाउंस न काट लिया जाए
- सरकार दे सकती है तर्क कि जब ऑफिस आए ही नहीं तो कैसे लेंगे ट्रांसपॉर्ट अलाउंस
- ट्रांसपोर्ट अलाउंस बंद होता है तो सरकार को एक महीने में ही इस मद में करीब 3500 करोड़ रुपये की बचत होगी
नई दिल्ली
केंद्र सरकार के करीब 48 लाख कर्मचारियों का महंगाई भत्ता या डीए फ्रीज होने के बाद उनके ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर तलवार लटकी दिख रही है। इस समय लगभग हर सरकारी कर्मचारी इसी की बात कर रहा है और उनके चाहे वॉट्सऐप ग्रुप हों या सोशल मीडिया, सब पर इन दिनों ऐसी भी बातें घूम रही हैं।
वित्त मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी से जब इस बारे में सत्यता जानने का प्रयास किया गया तो उन्हें कहा कि अभी इस तरह का कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन वहीं के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि यदि ऐसा होता है तो सरकार को एक महीने में ही इस मद में करीब 3500 करोड़ रुपये की बचत होगी।
लॉकाउन का असर राजस्व वसूली पर
केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि लॉकडाउन में जब अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में सुस्ती है तो सरकार की कर वसूली पर भी गहरा असर पड़ा है। ऐसे में आमदनी और खर्च में तारतम्यता बिठाने का प्रयास हो रहा है। इसी के तहत पिछले दिनों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते की किस्त को फ्रीज करने का निर्णय लिया गया है। अब और आगे क्या हो सकता है, इस पर मंथन चल रहा है।
ट्रांसपोर्ट अलाउंस बन सकता है निशाना
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक अधिकारी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस अगला निशाना बन सकता है। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस तो कर्मचारियों को घर से ऑफिस पहुंचने और वहां से घर वापस जाने के लिए दिया जाता है। लॉकडाउन की वजह से पिछले महीने की 25 तारीख से ही कर्मचारियों का ऑफिस जाना बंद है। ऐसे में जब वह आफिस पहुंचे ही नहीं तो फिर ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर उनका दावा भी नहीं बनता है। इसलिए यदि अप्रैल महीने में इसका भुगतान नहीं भी किया जाता है तो कर्मचारियों का कोई विरोध भी नहीं होना चाहिए।
हजारों रुपये मिलते हैं ट्रांसपोर्ट अलाउंस के मद में
केंद्रीय कर्मचारियों को इस समय पे लेवल के हिसाब से ट्रांसपोर्ट अलाउंस मिलता है। पे लेवल एक और दो के कर्मचारी मतलब चपरासी और क्लर्क को बड़े शहरों में हर महीने 1350 रुपये और डीए इस मद में मिलता है। अभी डीए की दर 17 फीसदी है तो इनका मासिक ट्रांसपोर्ट अलाउंस 1529.50 रुपये होगा। छोटे शहरों में तैनात इस श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह 900 रुपये और डीए मतलब 1053 रुपये बनता है।
डीए की दूसरी श्रेणी पे लेवल 3 से लेवल 8 तक के लिए है। इसमे गैर राजपत्रित संवर्ग के सभी कर्मचारी आते हैं। इनके लिए बड़े शहरों में हर महीने 3600 रुपये और डीए मतलब 4212 रुपये मिलते हैं। इस वर्ग के छोटे शहरों में तैनात कर्मचारियों को 1850 रुपये और डीए मतलब अभी 2164 रुपये मिल रहे हैं। इसमे तीसरा वर्ग राजपत्रित अधिकारियों का है। इन्हें बड़े शहरों में 7200 रुपये और डीए मतलब 8424 रुपये मिलता है। ऐसे अधिकारी यदि छोटे शहर में पदस्थापित हैं तो इन्हें 3600 रुपये और डीए मतलब 4212 रुपये का भुगतान होता है।
एक महीने में 3500 रुपये की बचत
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का अनुमान है कि यदि किसी महीने देश के सभी केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों का ट्रांसपोर्ट अलाउंस रोक दिया जाए तो सरकार को इस मद में करीब 3500 रुपये की बचत होगी।