बजरंग दल को बैन करने के सवाल को टाल गए नीतीश कुमार, कहा-अभी ऐसे मामलों पर बोलना नहीं चाहता

बजरंग दल को बैन करने के सवाल को टाल गए नीतीश कुमार, कहा-अभी ऐसे मामलों पर बोलना नहीं चाहता

New Delhi : बिहार में बजरंग दल पर बैन लगाने की मांग के सवाल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार टाल गए। उन्हीं की पार्टी के सांसद कौशेलेंद्र कुमार ने बुधवार को बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल, मैं ऐसे मामलों पर बोलना नहीं चाहता।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी हम सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एक बार सभी एकजुट हो जाएंगे तो हम सब एक साथ बैठेंगे और एक साझा एजेंडे के साथ सामने आएंगे। तब तक, मैं ऐसे किसी मामलों पर बोलना नहीं चाहता।

बता दें कि कांग्रेस ने कर्नाटक में बजरंग दल को बैन करने की मांग उठाई थी। हालांकि, मामले को लेकर सियासी माहौल गरमाने के बाद कांग्रेस ने यूटर्न ले लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोईली ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है

इसी बीच नीतीश की ही पार्टी के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस की युवा शाखा, बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया। कौशलेंद्र नीतीश कुमार के गृहक्षेत्र नालंदा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने बिहारशरीफ में हालिया सांप्रदायिक तनाव के लिए बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था।

नवीन पटनायक से मिलने पर क्या बोले नीतीश

इधर, विपक्षी एकता को लेकर भी मुख्यमंत्री ने बयान दिया। उन्होंने मीडिया में शुक्रवार को अपने ओडिशा दौरे पर जाने की चल रही खबर पर आश्चर्य जताया। उन्होंने नवीन पटनायक से मिलने की खबरों पर कहा कि मैंने कई नेताओं से मुलाकात की है। अभी कई और नेताओं से मुलाकात करुंगा लेकिन यह बहुत जल्द नहीं होने जा रहा है।

नीतीश कुमार के इस बयान से संकेत मिल रहे हैं कि वे कर्नाटक में चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। वहां चुनाव खत्म होते ही वे एक बार फिर अपना विपक्षी एकजुटता का अभियान शुरू करेंगे।

अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद

पिछले साल अगस्त में भाजपा से नीतीश कुमार अलग हो गए थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल को याद किया और लगे हाथ केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ने सभी की परवाह की और जब वह प्रधानमंत्री थे, तब हिंदू-मुस्लिम की कोई बड़ी समस्या नहीं थी।

याद दिलाया अपना इस्तीफा

इसके साथ ही नीतीश कुमार ने रेल हादसे के दौरान अपने इस्तीफे की बात भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि एक दुर्घटना के बाद रेल मंत्री के होने के नाते मुझे इस्तीफा देना पड़ा। अटलजी को मेरा इस्तीफा स्वीकार करने के लिए मनाने में मुझे बहुत मशक्कत करनी पड़ी।

उन्होंने कहा, ‘आज, कोई भी नैतिक आधार पर इस्तीफा नहीं देता है। मौजूदा व्यवस्था में अटल जी के लिए भी बहुत कम सम्मान है क्योंकि यह आज क्रेडिट लेने की होड़ लगी है।

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