किसान आंदोलन: 24 घंटे चलने वाला लंगर भी नहीं बढ़ा पा रहा प्रदर्शनकारियों की संख्या

किसान आंदोलन: 24 घंटे चलने वाला लंगर भी नहीं बढ़ा पा रहा प्रदर्शनकारियों की संख्या

नई दिल्ली । तीनों कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों का धरना-प्रदर्शन 100 दिन से भी अधिक समय से जारी है। इस बीच प्रदर्शनकारियों की घटती संख्या ने संयुक्त किसान मोर्चा की भी चिंता बढ़ा दी है। सिंघु, टीकरी, शाजहांपुर के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। वहीं,  सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की घटती संख्या से परेशान आंदोलनकारियों के नेताओं ने लंगरों की संख्या बढ़ा दी है। पहले जहां एक लंगर ही लगता था, वहीं अब दिल्ली की सीमा में लगाए गए पंडाल के करीब 50 मीटर के दायरे में चार लंगर चल रहे हैं। इनमें दो लंगर तो पंडाल से करीब 10 मीटर की दूरी पर हैं। इनमें चाय-काफी, किशमिश, बादाम, पूड़ी-सब्जी, घी-शक्कर, जलेबी, दूध, बर्गर, पिज्जा आदि की सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही वाटर प्रूफ टेंट में एसी, मुलायम गद्दे, प्रोटीन के डिब्बों के साथ जिम से लेकर मसाज तक की सुविधा कृषि कानून विरोधियों के लिए उपलब्ध हैं। पंडाल (धरना स्थल) में ही चाय, पानी, जूस आदि मुहैया करवा दिया जाता है ताकि कोई भी प्रदर्शनकारी धरना स्थल से न उठे और भीड़ नजर आती रहे।

24 घंटे चलते हैं लंगर

कुंडली बॉर्डर पर कई लंगर तो ऐसे हैं जो 24 घंटे चलते रहते हैं। यहां पर खाने के साथ-साथ दूध, चाय, बिस्किट आदि 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। इसके अलावा रोज काफी लोग ऐसे भी यहां पहुंचते हैं जो प्रदर्शनकारियों को आइसक्रीम, ठंडा दूध, ठंडी खीर आदि बांट कर चले जाते हैं।

मिलता है गुप्त दान

सूत्रों के अनुसार, लंगरों पर काफी गुप्त दान भी दिया जा रहा है। अनजान लोग बीस से पच्चीस हजार रुपये तक लंगर स्थल पर गुप्त दान भी करते हैं। जब कोई व्यक्ति पैसे लेने से मना करता है तो उसको पैसे न देकर उसके लिए राशन रखवा दिया जाता है। राजमा, चावल बकायदा गाड़ी में लोड करवाकर लंगर स्थल पर पहुंचा दिए जाते हैं।

एसी और फ्रिज का भी इंतजाम

राष्ट्रीय राजमार्ग एक पर 96 दिन से धरने पर बैठे कृषि कानून विरोधियों को वीआइपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। यहां पर एसी, पंखे, फ्रिज आदि की सुविधा देकर प्रदर्शनकारियों के लिए ऐसे टेंट बनाए जा रहे हैं, जैसे काफी लोगों के घर भी नहीं होते। लोग पंजाब से आकर 10 से 15 दिन छुट्टियां मनाते हैं, क्योंकि न तो उनका यहां रहने का पैसा लग रहा है और न ही खाने का।

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