भारत के कालापानी-लिपुलेख पर नेपाल का दावा, विदेश मंत्रालय ने कहा- यह हमारा संप्रभु क्षेत्र

भारत के कालापानी-लिपुलेख पर नेपाल का दावा, विदेश मंत्रालय ने कहा- यह हमारा संप्रभु क्षेत्र

खास बातें

  • भारत के नए नक्से पर नेपाल की आपत्ति
  • भारत ने कहा, मुद्दा सुलझा लिया जाएगा
  • नेपाल में विद्यार्थी संगठन अनेरास्ववियु ने किया प्रदर्शन
  • नेपाली मंत्री बोले, जनगणना है प्रमाण

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जारी भारत के नए राजनीतिक नक्शे पर नेपाल ने आपत्ति जताई है। नेपाल ने दावा किया है कि उत्तराखंड के कालापानी और लिपुलेख उसके धारचूला जिले के हिस्से हैं। नेपाल ने कहा है कि संबंधित क्षेत्र को लेकर भारत से बात जारी है और ये मुद्दा अभी तक अनसुलझा है।

वहीं भारत ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विदेश सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में बातचीत के जरिये नेपाल से मतभेद को सुलझा लिया जाएगा।

नेपाल की आपत्ति पर भारत का जवाब, बातचीत से सुलझा लिए जाएंगे मतभेद

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नए मानचित्र में भारत ने अपने ही हिस्से को दिखाया है। चूंकि पूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांट कर दो नए केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए हैं। इसी के मद्देनजर नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया। नए मानचित्र में भारत ने किसी नए भूभाग को अपने हिस्से में शामिल नहीं किया है। प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक नेपाल की आपत्तियों का सवाल है तो दोनों देश सीमा विवाद के मसले को सचिव स्तर की बातचीत में सुलझाने पर सहमत हैं। ऐसे में नेपाल की आपत्तियों को इसी बातचीत में सुलझा लिया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत ने शनिवार को नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिसमें नवगठित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को उनकी सीमाओं के साथ दिखाया गया है। मानचित्र में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में दिखाया गया है जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान को लद्दाख के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

नेपाली मंत्री बोले, जनगणना है प्रमाण

नेपाल सरकार के प्रवक्ता संचार और सूचना मंत्री गोकुल प्रसाद बास्कोटा ने बृहस्पतिवार को कालापानी को नेपाल का अभिन्न अंग बताया। संचार मंत्री ने कहा कि 58 वर्ष पहले नेपाल द्वारा कालापानी में जनगणना कराना ही इसका ऐतिहासिक प्रमाण है। उन्होंने संचार मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए नियमित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि ‘नेपाल और भारत के बीच जुड़े भू-भाग में से केवल दो प्रतिशत जगह पर ही सीमा विवाद है और इसका समाधान करना अभी बाकी है। हम राजनीतिक और कूटनीतिक पहल से प्रमाण के साथ इस विवाद का समाधान करेंगे। बास्कोटा ने नेपाल सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा भारत को सार्वजनिक राजनीतिक नक्शे पर अपनी धारणा स्पष्ट रूप से रख देने की बात भी कही।

कालापानी की जमीन गर्ब्याल और गुंज्यालों के नाम पर है दर्ज

कालापानी के जिस क्षेत्र पर नेपाल अपना दावा करता है उसका नेपाल से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय सीमा से लगा नेपाल का अंतिम गांव छांगरू भी कालापानी से 17 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। छांगरू के साथ ही चीन सीमा की ओर स्थित तिंकर गांव में भी रं समुदाय के ही लोग रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूरी जमीन नेपाल के राजा ने भारतीय रं समुदाय के लोगों को दी थी। आज भी गुंजी गांव में राजा के मुहर वाले दस्तावेज मौजूद हैं।

कालापानी भारतीयों का तीर्थ स्थल है। रं समुदाय के लोग यहां पर अस्थि विसर्जन करते हैं। कालापानी, काली नदी का उद्गम स्थल है। यहां काली माता का एक मंदिर है। यही काली नदी कालापानी से भारत और नेपाल दोनों देशों का सीमांकन करती है। आगे चलकर टनकपुर में यह शारदा नदी बन जाती है। मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित गुंजी से कालापानी की दूरी नौ किमी है। इसके बीच कोई आबादी नहीं है। यहां आईटीबीपी और आईबी तैनात हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों के छह होटल हैं। बताया जाता है कि राजशाही के दौर में नेपाल के राजा ने कालापानी क्षेत्र की जमीन गर्ब्याल और गुंज्याल परिवारों के नाम पर कर दी थी। सूत्रों के अनुसार इनके दस्तावेज आज भी गुंजी में मौजूद हैं। गुंजी से आगे कालापानी और लिपूलेख तक का भूभाग निर्जन है।

कालापानी से लीपूलेख की दूरी लगभग 15 किमी है। यहां विशाल दर्रे और पहाड़ियां हैं। जबकि यहां से धारचूला की ओर गर्ब्यांग के समीप काली नदी में सीतापुल स्थित है। इसी पुल से भारत और नेपाल के बीच आवाजाही होती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नेपाल के अधिकारियों को भी अपनी भारत और चीन से लगी सीमा देखने के लिए भी भारत के इसी सीतापुल से नेपाल में प्रवेश करना पड़ता है।

नेपाल का दावा पूरी तरह से गलत : रं संस्था धारचूला के अध्यक्ष कृष्णा गर्ब्याल ने बताया कि कालापानी और यह पूरा क्षेत्र भारतीयों की भूमि है। यह जमीन यहां के लोगों के नाम पर दर्ज है। नेपाल का कालापानी क्षेत्र की जमीन पर दावा करना पूरी तरह से गलत है।

नेपाली संगठनों ने भारत के खिलाफ की नारेबाजी 

नेपाल युवा संघ के कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को भारत-नेपाल सीमा पर भारत और प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में उन्होंने नेपाल के गड्डा चौकी में सभा कर कालापानी और लिपुलेख को अपनी भूमि बता वापस करने की मांग की। उन्होंने भारत पर विस्तारवादी नीति का आरोप भी लगाया। शाम पांच बजे के आसपास नेपाल युवा संघ के कार्यकर्ता नेपाल से रैली निकाल भारत नेपाल पिलर-सात तक पहुंचे।

विडियों समाचार