Navratri 2020: ऐसा पहली बार, जब नवरात्र में बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट, ऐसे करें मां की पूजा

कोरोना वायरस के चलते पहली बार नवरात्र पर मंदिरों के कपाट बंद किए गए हैं। इनमें प्रसिद्ध परशुरामेश्वर मंदिर पुरा महादेव, माता सीता सती स्थली पंचमुखी महादेव मंदिर बालैनी, गुफा बाबा मंदिर सरूरपुर कला, मां भगवती दुर्गा देवी मंदिर फजलपुर सुंदरनगर और कान्हड़ में देवी मंदिर सहित जिले के बडे़ मंदिर शामिल हैं। अष्टमी और नवमी के दिन मंदिरों में लगने वाले मेलों को स्थगित कर दिया गया है। हालांकि नगर व देहात क्षेत्र के मंदिरों को कुछ देर के लिए खोला जा रहा है। इस बार देवी नाव पर सवार होकर आएंगी। जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। माता का नाव पर आगमन और हाथी पर गमन दुख, रोग और शोक से मुक्ति दिलाता है। नवरात्र में घर में सुबह छह बजकर 25 मिनट से सात बजकर 25 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।

6:24 से 7:25 तक कलश स्थापना विशेष फलदायी
ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। सुबह 6.25 से 7.25 तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद सुबह 11.35 से 12.20 तक शुभ मुहूर्त है।

ऐसे करें पूजन 
माता की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, अखंड ज्योत की स्थापना करें। एक ज्योत भैरव बाबा के लिए भी जलाएं। मां शैलपुत्री का पूजन सफेद पुष्प और अनार से करना अति शुभ माना जाता है। दूसरे नवरात्र को ब्रह्मचारिणी, तीसरे को चंद्र घंटा, चौथे को कुष्मांडा, पांचवे को स्कंद माता, छठे को कत्यायनी, सातवें को महाकाली, आठवें को महागौरी और नौवे को माता के नौवे स्वरूप सिद्धदात्री की पूजा की जाती है।


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