तिरुवनंतपुरम। केरल के पूर्व मंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विधायक केटी जलील ने कश्मीर को लेकर एक विवादित बयान दिया था। जिसमें केटी जलील (KT Jaleel) ने गुलाम कश्मीर को ‘आजाद कश्मीर’ कहा था।

कश्मीर पर जलील द्वारा विवादास्पद फेसबुक टिप्पणी को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था और कई लोग, विशेष रूप से भाजपा नेता, उनके विवादास्पद एफबी पोस्ट के खिलाफ थे। वहीं शनिवार को सत्तारूढ़ एलडीएफ विधायक के टी जलील ने एक और फेसबुक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने आलोचकों पर उनके बयान का अर्थ नहीं समझने का आरोप लगाया है।

जलील ने अपने मलयालम एफबी पोस्ट में कहा, मुझे केवल उन लोगों के लिए सहानुभूति है जो “आजाद कश्मीर” का अर्थ नहीं समझते हैं।

हालाँकि, उन्होंने अपने व्याख्यात्मक नोट में अन्य विवादास्पद टिप्पणी, “भारतीय अधीन जम्मू और कश्मीर” (भारत के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर) के बारे में चुप्पी बनाए रखी।

जिसके बाद उनके फेसबुक कमेंट बॉक्स में, भाजपा नेता संदीप वारियर ने “भारत के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” संदर्भ पर उनकी चुप्पी की आलोचना की और उनसे इसका अर्थ समझाने का आग्रह किया।

जलील द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण की आलोचना करते हुए, वेरियर ने कहा कि पूरे देश द्वारा खारिज किए जाने के बाद भी “जहरीली” और “देशद्रोही” टिप्पणियों को सही ठहराना हास्यास्पद है।

केरल के विधायक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि, ‘कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के पास है उसे ‘आजाद कश्मीर’ के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सरकार का सीधा प्रभाव नहीं है। वहीं इस क्षेत्र में चलने वाली मुद्रा और सैन्य मदद ही पाकिस्तान के नियंत्रण में है।

जलील ने आगे कहा, गुलाम कश्मीर की अपनी सेना थी। पाकिस्तान सरकार की कोई बड़ी प्रशासनिक शक्ति गुलाम कश्मीर में मौजूद नहीं है।

जलील, जो पिछली माकपा नीत एलडीएफ सरकार में मंत्री थे, ने कहा कि “भारतीय अधिनायक जम्मू और कश्मीर” में जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख के कुछ हिस्से शामिल हैं।

अनुच्छेद 370 खत्म करने पर केटी जलील ने उठाए सवाल

केरल के विधायक ने कहा कि सुरक्षा बलों की भारी तैनाती ने कश्मीर की रूप रेखा बदल दी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में लोग सामान्य स्थिति के लिए तरस रहे हैं। जलील ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर का विभाजन वहां की जनता को रास नहीं आई है।

उन्होंने कहा, ‘आप जिधर देखते हैं उधर ही केवल राइफलों के साथ सेना दिखाई देखते हैं। कई महीनों से जम्मू कश्मीर में कोई राजनीतिक गतिविधियां नहीं हो रही है। एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को तीन टुकड़ों में विभाजित कर दिया, जिससे कश्मीर की जनता खफा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या अनुच्छेद 370 को रद्द करना एक सही कदम था? जलील ने कहा, ‘कश्मीर में लोग सामान्य स्थिति वापस बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं।’

वी. मुरलीधरन ने की केटी जलील की आलोचना

वहीं, केटी जलील के बयान पर विदेश और केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित विधायक द्वारा गुलाम कश्मीर को आजाद कश्मीर बताना और कश्मीर राज्य को भारत अधिकृत कश्मीर कहना देशद्रोह है।