मनुष्य को धर्म मानवता है, धर्म के बिना मनुष्य का अस्तित्व संभव नहीं- शंकराचार्य अविमुक्तानंद महाराज
- श्रद्धालुओ को प्रवचन देते शंकराचार्य
नकुड 25 जनवरी इंद्रेश। जगदगुरू शंकराचार्य अविमुक्तानंद महाराज ने कहा है कि हिंदु धर्म में गुरू का अहम स्थान हैं । ओर गुरू सृष्टि के आरंभ से ही गुरू ने मानव को मार्गदर्शन किया है। ब्रहम, विष्णु व महेश एक ही है। हम जिस रूप मे उन्हे मानते है। वे उसी रूप मे हमारी बुद्धि को स्थिर कर देते है।
जगदगुरू शंकराचार्य यहां अघ्याना मे अपने रात्री प्रवास के पूर्व श्रद्धालुओं को प्रवचन दे रहे थे। संसार मे तीन तरह के लोग होते है। कुछ लोग संसार को ही शास्वत मानते है। जबकि दुसरे तरह के लोग ससंार को नश्वर मानते है । तीसरे तरह के वे लोग है जो न उधर रह पाते है ओर न ही उधर। इन की योग्यता के आधार पर ही गुरू उन्हे आगे बढने के लिये प्ररित करता है। कोई कर्म मार्ग से आगे बढता है। तो कोई ज्ञान मार्ग से जबकि तीसरे तरह के लोग भक्ति मार्ग का अनुसरण करता है।
कहा कि मनुष्य यज्ञ के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकता । किसी अतिथि को भाजन देना, चींटी को आटा देना , आहुति देकर देव यज्ञ करना सभी यज्ञ के रूप है। धर्म के बिना मुनष्य का अस्तित्व संभव नहीं है। मनुष्य का धर्म मानवता है । जबकि एक पशु का धर्म पशुता है। अगर मानव मानवता का पालन नहीं करता तो वह मनुष्य कहलाने के योग्य नहीं है। महापुरूष अलग अलग स्थान ,काल व परिश्थितियों के अनुरूप धर्म का स्वरूप तय करता है। पंरतु कुछ लोग लकीर के फकीर होकर उस स्वरूप बिगाड देते है। इसलिये आलोचना होने लगती है। गुरू गोविंदसिंह ने हिदुओ की रक्षा के लिये खालसा यानि खालिस पंथ चलाया था। कई बार लोग अर्थ का अनर्थ कर देते है। मनुष्य को तीन शासन के अंतर्गत रहना होता हैं । एक राजा की सत्ता है। दुसरी धर्मगुरू की सत्ता है तो तीसरी यमराज की सत्ता होती है। जो हमारे सभी कर्मो का लेखाजोखा रखते है। उन्ही कर्मो के अनुसार ही हमे आगे का जीवन मिलता है।
इस मौके पर रामनाथ कश्यप, राजकुमार चैधरी, सोमदत्त त्यागी,, अभिषेक त्यागी, विकास त्यागी, मुुकुदानंद ब्रहमचारी, मा0 कृष्णचंद त्यागी, दिग्विजय त्यागी कमलेश कुकरेती आदि उपस्थित रहे।