Mahakumbh: मां गंगा के तट पर कल्पवास करने पहुंचे 128 साल के बाबा शिवानंद, राष्ट्रपति से मिल चुका है पद्मश्री

बाबा शिवानंद का जन्म आठ अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना-बाहुबल) में गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ। वर्तमान में यह स्थान बांग्लादेश में है।
आश्रम में रहकर कर रहे कल्पवास
गजब की फिटनेस… रह जाएंगे दंग
अविवाहित बाबा शिवानंद की फुर्ती ऐसी है कि दंग रह जाएं। शिविर में प्रवेश द्वार के ठीक बगल वाले कमरे से वह बिना किसी सहारे निकलते हैं। बिना चश्मा स्पष्ट रूप से देख लेते हैं। हर मौसम में केवल कुर्ता-धोती ही पहनते हैं। सुबह घंटे भर योग के बाद एक घंटे तक उसी कमरे में चहलकदमी करते हैं।
वाराणसी के कबीरनगर (दुर्गाकुंड) में बाबा शिवानंद का ठिकाना तीसरे तल पर हैं। रोजाना सीढ़ियों से तीन से चार बार चढ़ते-उतरते हैं। योग करते 122 साल बीत चुके हैं। उनके शिविर में स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, गुवाहटी, असम, त्रिपुरा, पुरी और बेंगलुरु के अनुयायी ठहरे हैं।
126 साल की उम्र में पद्मश्री
21 मार्च 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बाबा शिवानंद को पद्मश्री से अलंकृत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में नाम पुकारे जाने के बाद अपने स्थान से खड़े हुए बाबा शिवानंद ने सम्मान लेने तक तीन बार नंदीवत योग मुद्रा में प्रणाम किया। पहले प्रधानमंत्री के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम ने भी झुककर अभिवादन किया। इसके बाद राष्ट्रपति के सामने पहुंचने पर उन्होंने इसी मुद्रा में प्रणाम किया और पास पहुंचने के बाद फिर झुके तो राष्ट्रपति ने आगे बढ़कर सहारा दिया।