रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मदद से ही सफल हुई प्रियंका गांधी वाड्रा की प्रयागराज में ‘आस्था यात्रा’, जानिए कैसे
प्रयागराज : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रयागराज प्रवास में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी उल्लेखनीय मदद रही है। उनकी ही पहल पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कैंटोनमेंट क्षेत्र में पड़ने वाले उस रास्ते पर प्रियंका के काफिले को आने की अनुमति दी, जो मनकामेश्वर मंदिर सह आश्रम तक जाता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इसकी पुष्टि की। संगमनगरी में दिखी यह सियासी समरसता अब चर्चा का विषय है।
मौनी अमावस्या जैसे अहम स्नान पर्व पर संगम में डुबकी लगाने के बाद बीते गुरुवार को मनकामेश्वर मंदिर पहुंचकर प्रियंका गांधी ने द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लिया था। अब यह बात सामने आई है कि उनकी ‘आस्था यात्रा’ की सफलता में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अहम भूमिका निभाई है।
दरअसल, मौनी अमावस्या की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ थी। ऐसे में बेटी मिराया के साथ प्रियंका का संगम पहुंच पाना मुश्किल था। इससे भी अहम समस्या शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के आश्रम तक जाने की थी। मनकामेश्वर मंदिर परिसर आश्रम कैंटोनमेंट एरिया का हिस्सा है। यहां पहुंचने में तकरीबन एक किलोमीटर रास्ता सेना के कब्जे में रहता है। सेना ने अपना गेट भी लगा रखा है। यहां आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदी रहती है। कांग्रेस नेताओं ने जिला प्रशासन से मदद मांगी तो उसने सेना का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया।
इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क साधा गया। यह जिम्मा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राज्यसभा के पूर्व सदस्य प्रमोद तिवारी को मिला। दोनों नेताओं ने राजनाथ सिंह से निजी रिश्तों की दुहाई दी और मदद मांगी। पीए के संपर्क में रहे प्रमोद तिवारीप्रमोद तिवारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने निजी सचिव कुंदन कुमार के जरिये सेना के स्थानीय अफसरों से प्रियंका के काफिले को शंकराचार्य आश्रम तक जाने की इजाजत दिलाई। दिग्विजय सिंह भी पीए कुंदन कुमार के संपर्क में रहे। प्रमोद तिवारी का कहना है कि उनका कुंदन कुमार से वाट्सएप पर संवाद हुआ। अगले दिन यानी शुक्रवार सुबह संसद जाने से पहले रक्षा मंत्री ने प्रमोद तिवारी को फोन किया। यह भी जाना कि कहीं कोई दिक्कत तो नहीं हुई।