नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्व राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक इकबाल सिंह चीमा 20 सितंबर तक पद पर बने रहेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि एनसीएलएटी के मौजूदा कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम वेणुगोपाल तब तक छुट्टी पर रहेंगे जब तक कि चीमा पद पर बने रहेंगे। वे लंबित फैसले सुनाने में समर्थ होंगे।
न्यायमूर्ति चीमा ने 10 सितंबर से अपनी सेवाएं समाप्त करने के केंद्र द्वारा जारी आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी, जबकि वह अपने मूल नियुक्ति आदेश के अनुसार 20 सितंबर तक के कार्यकाल को निभा रहे थे। वे जल्दी सेवानिवृत्ति के खिलाफ थे। वह 20 सितंबर को 67 वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर रहे हैं।
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सेवा समाप्ति आदेश इसलिए जारी किया गया था क्योंकि हाल ही में पारित ट्रिब्यूनल रिफार्म्स एक्ट 2021 ने सदस्यों की अवधि 4 साल तय कर दी गई थी (जस्टिस चीमा को 11 सितंबर, 2017 को एनसीएलएटी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था)। इसलिए, एजी ने कहा कि सरकार के पास बर्खास्तगी आदेश जारी करने की शक्ति है।
बहरहाल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह जस्टिस एआईएस चीमा को नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जारी रखने और सेवानिवृत्ति लाभ देने पर सहमत हो गई है।
वहीं, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने जोर देकर कहा था कि न्यायमूर्ति चीमा को वास्तव में 20 सितंबर तक अपने कार्यालय की शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने 5 मामलों में निर्णय सुरक्षित रखा है। उनके फैसले आना बाकी है।