हनक बनाए रखने के लिए तनाव बढ़ा रहे जिनपिंग, कोरोना ने खोली पोल, गंभीर मतभेदों का हुआ खुलासा

नई दिल्ली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) पर पकड़ अब ढीली पड़ती जा रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएससी) पर भारत से साथ हिंसक झड़प जिनपिंग को मजबूत नेता के तौर पर पेश करने की कोशिशों का हिस्सा है। सरकार नियंत्रित मीडिया और प्रोपगेंडा के तहत चीन को निर्णायक नेता के नेतृत्व में मजबूत छवि वाले देश के तौर पर पेश  कर रही है। हालांकि कोरोना महामारी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गंभीर मतभेदों का उजागर कर दिया है। जिनपिंग अब पार्टी में पकड़ खोते जा रहे हैं।

हाल के समय में चीन के आक्रामक रवैये का आकलन करने वाले विश्लेषक और चीन निकान के सह संस्थापक एडम नी ने कहा कि आज कुछ लोग चीन को अखंड देश के तौर पर चित्रित करते हैं। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी दुर्भावना से ग्रस्त है और उसके नेता दुनिया में दबदबा बनाना चाहते हैं। जबकि वास्तविकता है कि चीन खंडित हो चुका है। पार्टी के नेता आपस में विरोधाभासी हैं। इस संकट के समय वे जबरदस्ती एक दूसरे साथ होने का दिखावा कर रहे हैं।
वहीं, अमेरिका के सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में वरिष्ठ सलाहकार स्कॉट कैनेडी के मुताबिक, कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना महामारी के कारण चीन की छवि को हुए नुकसान के लिए सभी नेताओं को सक्रिय होने का आदेश दिया है। इसके चलते ज्यादातर नेता विभिन्न मंचों पर चीन हितों की बात करते दिखते हैं। कैनेडी ने कहा, चीन ने जिस विकास दर का दावा किया है, उस पर विश्वास करना मुश्किल है।

  •  महामारी से चीनी को अरबों डॉलर का नुकसान
कैनेडी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण चीन को 60 मिलियन डॉलर से लेकर 100 मिलियन डॉलर के बीच नुकसान हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोेष (आईएमएफ) के मुताबिक, 2020 तक चीन की विकास दर सिर्फ 1.2 फीसदी होगी, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, वह दूर की कौड़ी है। बेरोजगारी चीन के सभी कारोबारी क्षेत्रों को प्रभावित करेगी और 2020 में इसके 15 फीसदी रहने का अनुमान है, जो चीन के 5.5 फीसदी के अनुमान से कहीं ज्यादा है।
  • कड़वी सच्चाई से दूर पार्टी नेता
ग्लोबल ताइवान इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो जे माइकल कोल कहते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी के ज्यादातर पदाधिकारियों ने कड़वी सच्चाई से मुंह फेर रखा है। कोल ने ट्वीट किया, याद रखें एनसीपी के तीन हजार प्रतिनिधियों की कुल संपत्ति 470 बिलियन अमेरिकी डॉलर या इससे ज्यादा है। पैसों के लालची, स्वार्थी और मतलबी लोग कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर देश को चलाते हैं। शायद यही चीन के सच्चे समाजवाद की परिभाषा है।

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