तालिबान से हाथ मिलाने को तैयार देशों को जावेद अख्तर ने लगाई लताड़, कही ये बात

- जावेद अख्तर तालिबान को साथ देने के लिए तैयार कथित सभ्य और लोकतांत्रिक देशों को निशाने पर लेते हुए कहा है कि दुनिया की हर लोकतांत्रित सरकार को तालिबान को मान्यता देने से इनकार कर देना चाहिए
नई दिल्ली: बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने अफगानिस्तान में चल रही तालिबानी हकूमत को निशाने पर लिया है. जावेद अख्तर तालिबान को साथ देने के लिए तैयार कथित सभ्य और लोकतांत्रिक देशों को निशाने पर लेते हुए कहा है कि दुनिया की हर लोकतांत्रित सरकार को तालिबान को मान्यता देने से इनकार कर देना चाहिए, और इसके साथ ही अफगानिस्तान की महिलाओं के दमन के लिए तालिबान की निंदा की जानी चाहिए. जावेद अख्तर का ये ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपना रिएक्शन दे रहे हैं.
जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हर सभ्य व्यक्ति, हर लोकतांत्रिक सरकार, दुनिया के हर सभ्य समाज को तालिबानियों को मान्यता देने से इनकार करना चाहिए और अफगान महिलाओं के क्रूर दमन के लिए निंदा करनी चाहिए या फिर न्याय, मानवता और विवेक जैसे शब्दों को भूल जाना चाहिए.’
वहीं इससे पहले जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने लिखा था, ‘तालिबान के प्रवक्ता ने दुनिया को बताया है कि महिलाएं मंत्री बनने के लिए नहीं बल्कि घर पर रहने और बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं लेकिन दुनिया के तथाकथित सभ्य और लोकतांत्रिक देश तालिबान से हाथ मिलाने को तैयार हैं. कितनी शर्म की बात है.’ गीतकार जावेद अख्तर ने यह ट्वीट तालिबान के प्रवक्ता सैयद जकीरुल्लाह की तरफ से महिलाओं के ऊपर दिए गए बयान की निंदा करते हुए किया था.
बता दें कि सत्ता हथियाने के समय महिलाओं को उनके अधिकार देने की बात करने वाले तालिबान के सुर सरकार गठन के साथ ही बदल गए. वहां अब महिलाओं को उतने ही अधिकार दिए जा रहे हैं, जितने में वे सिर्फ जिंदा रहने के लिए सांस ले सकें. पहले तो खबर आई थी कि अफगानिस्तान में महिलाओं पर पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं और कॉलेजों में पर्दा लगवा दिया गया है. जिसमें एक तरफ लड़के तो दूसरी तरफ लड़कियां बैठ कर पढ़ाई करेंगी. वहीं अब तालिबान के प्रवक्ता सैयद जकीरुल्लाह हाशमी ने कहा, ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती. महिला का मंत्री बनना ऐसा है, जैसे उसके गले में कोई चीज रख देना, जिसे वो उठा नहीं सकती हैं. महिलाओं का कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है, उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए. उनका यही काम होता है. महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं.’