ज्ञानवापी व पूजा के कानून के खिलाफ जमीयत पहुंची सुप्रीम कोर्ट

ज्ञानवापी व पूजा के कानून के खिलाफ जमीयत पहुंची सुप्रीम कोर्ट
मौलाना अरशद मदनी
  • मौलाना अरशद मदनी

देवबंद [24CN]: ज्ञानवापी मस्जिद मामला और इबादतगाह कानून (पूजा के कानून) के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले पर गर्मी के अवकाश के बाद सुनवाई की उम्मीद है।जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि हस्तक्षेप करने वाली इस याचिका में लिखा गया है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि संपत्ति विवाद मामले में एक प्रमुख पक्ष था। जिसमें प्लेस आफ वरशिप एक्ट की धारा 4 को स्वीकार कर लिया गया है और इस कानून की संवैधानिक स्थिति को सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी है। इसलिए अब इस कानून को चुनौती देकर एक बार फिर देश की शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लागू करने के दो उद्देश्य थे। पहला किसी भी धार्मिक स्थल की तब्दीली को रोकना और दूसरा पूजा स्थलों को उसी में रखना था जिस स्थिति या रूप में वे 1947 में थे। मौलाना मदनी ने उम्मीद जताई के गर्मी के अवकाश के बाद कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।

मुफ्ती वलीउल्लाह की फांसी की सजा के फैसले को हाईकोर्ट में दी जाएगी चुनौतीः मदनी
गाजियाबाद की विशेष सेशन कोर्ट द्वारा 6 जून 2006 में संकट मोचन मंदिर सीरियल बम विस्फोट मामले के एकमात्र आरोपी मुफ्ती वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाने के मामले में जमीयत उलमा-ए-हिंद इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि निचली अदालत के फैसला को हाईकोर्ट में चुनौदी दी जाएगी। हमें पूर्ण विश्वास है कि उच्च न्यायालय से उनको पूरा न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें निचली अदालतों ने सजाएं दीं मगर जब वह मामले उच्च न्यायालय में गए तो पूरा इंसाफ हुआ। इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर हमले का मामला है। जिसमें निचली अदालत ने मुफ्ती अबदुल कय्यूम समेत तीन लोगों को फांसी और चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी थी। यहां तक कि गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फैसला को बरकरार रखा था। लेकिन जमीयत की कानूनी सहायता के नतीजे में जब यह मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में गया तो यह सारे लोग न केवल सम्मानपूर्वक बरी हुए बल्कि निर्दोषों को आतंकवाद के इल्जाम में फांसने पर अदालत ने गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी।