हराम कमाई से रोजे की सहरी और इफ्तार करना नही जायज: उलमा  

हराम कमाई से रोजे की सहरी और इफ्तार करना नही जायज: उलमा  
Maulana Kari Mustafa
  • रमजान माह पर विशेष..

देवबंद [24CN] : मौलाना कारी मुस्तफा ने कहा कि पवित्र रमजान माह में हलाल कमाई को जायज जगहों पर खर्च करना भी रोजे का एक अहम हिस्सा है। उनका कहना है कि हराम कमाई से रोजे के लिए सहरी करना और उसी कमाई से इफ्तार करना जायज नहीं। अल्लाह को ऐसे रोजे की जरुरत नहीं है।

मौलाना कारी मुस्तफा ने कहा कि अगर कोई शक्स रोजा रखकर हराम माल (पैसे) से सहरी व इफ्तार करता है तो उस पर हुजूर ने बताया कि अल्लाह ताआला को ऐसे रोजे की जरुरत नहीं है। इसलिए हुजूर ने फरमाया हलाल माल से रोजा रखो और उसी से इफ्तार करो। कहा कि रोजे का मकसद खाने पीने की चीजों को छोडऩा नहीं बल्कि हर गलत काम व गुनाहों की चीजों को पूरी तरह छोड देना है। झूठ न बोलना, किसी की बुराई न करना, दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली बातों को न करना, हराम कमाई को छोड़कर जायज तरीके से कमाई करना और उस कमाई को जायज जगहों पर खर्च करना रोजे का एक अहम हिस्सा है। रमजान में मुसलमानों को पांचों वक्त की नमाज की पाबंदी करनी चाहिए और नफली इबादतों में वक्त लगाना चाहिए। इसके अलावा जकात अदा करने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा नफली सदका देना भी सवाब का काम है।