मनुष्य जीवन मे गुरू का होना जरूरी है, गुरू सावधानी से बनायें

मनुष्य जीवन मे गुरू का होना जरूरी है, गुरू सावधानी से बनायें
  • श्रद्धालुओ को कथा सुनाते आचार्य कुलदीप

नकुड 16 अगस्त इंद्रेश। नगर के महादेव मंदिर म ेचल रही शिव कथा के संपन्न होने पर भंडारे का आयोजन किया गया । इससे पूर्व आचार्य कुलदीप दीक्षित ने गुरू की महिमा का वर्णन किया।

आर्चाय कुलदीप दीक्षित ने कहा कि दत्तात्रेय के 24 गुरू थे। जिनमे पृथ्वी, जल वायु अग्नि, आकाश , सूर्य, चंद्रमा, समुद्र, अजगर , कपोत, पतंगा, मछली, हिरण, हाथी, मधुमक्खी, कुर्र पक्षी, आदि शामिल हैं । उन्होंने जिससे भी शिक्षा मिली उ से ग्रहण किया। मनुष्य जीवन में गुरू का होना बहुत जरूरी है। अविद्या के अंधकार से विद्या के प्रकाश की ओर जो भी ले जाये वही गुरू है। जो ईश्वर से मिला दे। भक्ति प्रदान करे। जिसके चरणो मे बैठकर हम दो आंसु बहा ले। वही गुरू है।

कहा कि ईश्वर को दुख मे ही नहीं सुख मे भी याद करना चाहिए। उन्होंने महाभारत के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण वापस जाने लगे तो उन्होंने कुंती से कहा कि बुआ जो मंागना है मांग ले। कंुती ने कहा प्रभु मुझे दुःख चाहिए । श्रीकृष्ण ने कहा कि बुआ सब तो सुख मांगते है तु दुःख क्यांे मांग रही हैं तो कंुती ने कहा दुःख मे तेरी याद आती है। सुख्,ा मे तो सब भूल जाते है। कथा के बाद विशाल भंडारे का अयोजन किया गया।