प्रधानमंत्री मोदी और उनके जापानी समकक्ष किशिदा के बीच पहली शिखर बैठक में आर्थिक सहयोग के छह समझौतों पर लगी मुहर, जानें पूरी डिटेल

- जापान के पीएम फुमियो किशिदा बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली भारत यात्रा पर शनिवार को नई दिल्ली पहुंचे। जिसके बाद शाम को पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ तकरीबन ढ़ाई घंटे तक शिखर वार्ता हुई। अगले पांच वर्षों में जापान भारत में 3.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
नई दिल्ली: भारत और जापान के सालाना शिखर सम्मेलन आयोजित होने में 27 महीने की देरी तो हुई लेकिन इसके नतीजे जिस तरह से निकले हैं वो बताते हैं कि दोनों देश बीते वक्त की भरपाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। जापान के पीएम फुमियो किशिदा बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली भारत यात्रा पर शनिवार को दोपहर नई दिल्ली पहुंचे और शाम को उनकी पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ तकरीबन ढ़ाई घंटे शिखर वार्ता हुई। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय कारोबार, सैन्य व सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए व्यापक आयामों पर चर्चा हुई।
भारत में 3.20 लाख करोड़ का निवेश करेगा जापान
बैठक की सबसे खास बात यह रही कि जापान ने अगले पांच वर्षों के दौरान भारत में 3.20 लाख करोड़ रुपये (पांच हजार अरब येन) के निवेश की घोषणा की है। दोनों नेताओं की उपस्थिति में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत बनाने के लिए छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। मोदी और किशिदा के इस शिखर सम्मेलन से पहले दोनों देशों के बीच वर्ष 2018 में टोक्यो में सालाना शिखर सम्मेलन हुआ था। दिसंबर 2019 की शिखर बैठक असम में हिंसा की वजह से स्थगित हुई थी जबकि उसके बाद कोरोना महामारी की वजह से यह नहीं हो सकी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र और यूक्रेन के हालात पर भी हुई चर्चा
शनिवार की बैठक में मोटे तौर पर द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े मुद्दे छाए रहे लेकिन हिंद प्रशांत क्षेत्र और यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पैदा हुए हालात पर भी विस्तार से चर्चा हुई है। बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान के बीच रिश्तों में गहराई आने से सिर्फ इन दोनों देशों को ही फायदा नहीं होगा बल्कि पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, संपन्नता व स्थायित्व को बढ़ावा मिलेगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए गठित अमेरिका, भारत, जापान व आस्ट्रेलिया के चार देशों के संगठन क्वाड की अगली शिखर बैठक जापान में ही होनी है। वहीं, पीएम किशिदा अपने संक्षिप्त बयान में यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करना नहीं भूले। उन्होंने रूस के आक्रमण को एक बेहद गंभीर घटनाक्रम बताते हुए कहा कि इससे समूचे अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन हुआ है। किसी भी एक पक्ष की तरफ से यथास्थिति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। रूस की आलोचना करने वाले प्रमुख देशों में जापान भी है।
बतौर पीएम किशिदा की पहली विदेश यात्रा
भारत और जापान एक दूसरे के साथ रिश्तों को कितना महत्व देते हैं वह इस बात से समझा जा सकता है कि बतौर पीएम किशिदा ने पहली विदेश यात्रा भारत की ही की है। वह पिछले साल अक्टूबर में जापान का पीएम बने थे। उन्होंने कहा भी कि पीएम बनने के साथ ही उन्होंने यह निश्चित किया था कि बतौर पीएम पहली बार भारत ही जाएंगे। वर्ष 2022 में भारत आने वाले वो पहले प्रधानमंत्री हैं।
दोनों नेताओं के बीच अकेले में भी हुई बातचीत
दोनों नेताओं के बीच अकेले में भी कुछ घंटे बातचीत हुई है। उसके बाद द्विपक्षीय आधिकारिक दल की वार्ता की अध्यक्षता दोनों प्रधानमंत्रियों ने की। इसके बाद कारोबारी दल के साथ बैठक भी हुई जिसमें दोनों नेता उपस्थित थे। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार एक अहम मुद्दा रहा है। ऐसे में जापान की तरफ से अगले पांच वर्षों के दौरान 3.20 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा काफी अहम है। वर्ष 2014 में पीएम मोदी की पहली जापान यात्रा के दौरान 3.5 लाख करोड़ येन (2.22 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का लक्ष्य रखा गया था जिसे समय से पहले ही हासिल कर लिया गया था।
पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में जापान की विशेष रुचि
जापान सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में खास रुचि दिखा रही है। गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के विकास, शहरी विकास और साइबर सुरक्षा तीन अन्य क्षेत्र हैं जहां दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं बताई गई हैं। जानकारी के मुताबिक यह तय हुआ है कि भारत जापान से सेब का आयात करेगा और अपने यहां से उसे आम निर्यात करेगा।
चीन के रवैये पर भी हुई चर्चा
दोनों नेताओं के बीच चीन के व्यवहार पर भी चर्चा हुई है। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने बताया कि लद्दाख सेक्टर में चीन की घुसपैठ का मामला उठा है। पीएम मोदी ने जापान के पीएम को पूरी स्थिति और भारत के रुख के बारे में बताया है। भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि चीन व भारत की सीमा पर अमन-शांति की स्थापना किए बगैर दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य नहीं बनाया जा सकता। पीएम किशिदा ने भी साउथ चाइना सी और पूर्वी चाइना सी में अपने अनुभवों के बारे में भारतीय पक्ष को बताया है। यूक्रेन के बारे में दोनों देशों का रुख थोड़ा भिन्न इसलिए है कि भारत खुल कर रूस के आक्रामक रवैये का विरोध नहीं कर रहा है। वैसे दोनों देश यह मानते हैं कि इस विवाद का समाधान आपसी बातचीत और कूटनीति के जरिए ही हो सकती है।