बजरंगदल से कितना अलग है “राष्ट्रीय बजरंगदल”

बजरंगदल:
बजरंग दल एक प्रमुख रूप से एक हिन्दुत्ववादी, राष्ट्रवाद की विचारधारा से ओत-प्रोत संगठन है। जो विश्व हिन्दू परिषद (विहिप या VHP) की युवा शाखा है। बजरंगदल को आरएसएस के संगठनों के परिवार का सदस्य संगठन माना जाता है। बजरंगदल की विचारधारा हिन्दुत्व (राष्ट्रवाद) पर आधारित है। बजरंगदल की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 को हुई थी। दरअसल 1984 में विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण हेतु हिन्दू समाज में जाग्रति लाने के लिए पूरे देश में राम-जानकी रथ यात्रा निकालनी प्रारंभ की। यात्राओं की सुरक्षा के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने एक युवा शाखा का निर्माण किया जिसे बजरंगदल का नाम दिया गया। बजरंगदल ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बजरंगदल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं (शाखाओं) के समान लगभग 3,500 अखाड़े चलाता है। “बजरंग” नाम हिन्दू राम भक्त हनुमान पर आधारित है। बजरंग दल का नारा है “सेवा, सुरक्षा और संस्कार” है।
बजरंग दल देशभर में लाखों सेवा कार्य करता है, वर्ष में एक बार सभी स्थानों पर मुख्य रूप से रक्तदान शिवर का आयोजन करता है। संगठन गौरक्षा के लिए व लवजिहाद, धर्मांतरण के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए जाना जाता है।
राष्ट्रीय बजरंगदल
राष्ट्रीय बजरंगदल प्रवीण तोगड़िया द्वारा बनाया गया संगठन है। प्रवीण तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष थे, लेकिन वे मोदी सरकार के कट्टर आलोचक रहे हैं। जब सम्पूर्ण हिन्दू समाज में मोदी की स्वीकारोक्ति बढ़ रही थी तो उस समय विश्व हिन्दू परिषद को प्रवीण तोगड़िया का मोदी विरोधी होना कहीं न कहीं अखरता था। विश्व हिन्दू परिषद भी प्रवीण तोगड़ियाँ से पिंड छुड़ाना चाह रहा था। प्रवीण तोगड़िया का मोदी विरोधी होना विश्व हिंदू परिषद से उनकी विदाई की एक मुख्य वजह मानी जाती है।
अप्रैल 2018 में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ। विश्व हिन्दू परिषद के 53 साल के इतिहास में ये पहली बार था जब अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो रहा था। इस चुनाव में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे को अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। उनसे पहले राघव रेड्डी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे, जिन्हें प्रवीण तोगड़िया का करीबी माना जाता था।
चुनाव में कोकजे को 131 और रेड्डी को 60 वोट मिले। विश्व हिन्दू परिषद का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ही कार्यकारी अध्यक्ष और बाकी दूसरे पदाधिकारियों को नियुक्त करता है। कोकजे ने तोगड़िया की जगह आलोक कुमार को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
चुनाव में राघव रेड्डी की हार और कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद तोगड़िया ने विश्व हिंदू परिषद को छोड़ दिया। तोगड़िया ने 14 अप्रैल 2018 को ही विश्व हिन्दू परिषद को छोड़ दिया। इसका ऐलान करते हुए तोगड़िया ने कहा था, मैं अब विश्व हिन्दू परिषद में नहीं हूं। विश्व हिन्दू परिषद छोड़ने के दो महीने बाद ही जून 2018 में तोगड़िया ने अपना नया संगठन बनाया। उन्होंने इसे ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद’ नाम दिया।
प्रवीण तोगड़िया अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसी संगठन से बना है ‘राष्ट्रीय बजरंग दल’।
‘असली बजरंग दल’ से कितना अलग है ये?
अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद जहां ‘विश्व हिंदू परिषद’ की तर्ज पर बना था, तो वहीं राष्ट्रीय बजरंग दल को ‘बजरंग दल’ की तर्ज पर बनाया गया था। प्रवीण तोगड़ियाँ के मोदी विरोधी होने के चलते इनके द्वारा बनाए गए दोनों संगठन मोदी व भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने के लिए ही अस्तित्व में आए। “राष्ट्रीय बजरंगदल” का प्रमुख उद्देश मोदी जी का विरोध करना है। बजरंगदल जहां विश्व हिन्दू परिषद व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उद्देश्यों का पालन करता है वहीं राष्ट्रीय बजरंगदल मोदी विरोध व भाजपा विरोध के उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ रहा है।
विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं को दिया गया प्रलोभन
प्रवीण तोगड़ियाँ ने जब “अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद” व “राष्ट्रीय बजरंगदल” का निर्माण किया तो तब “विश्व हिन्दू परिषद” व बजरंगदल के अनेक नेताओं को अपने पाले में करने के लिए अनेक प्रकार के प्रलोभन दिए। उन्हे अपने संगठनों में बड़े-बड़े पद देने का प्रलोभन भी प्रमुख रूप से था। कुछ लोग जो प्रवीण तोगड़ियाँ के नजदीकी थे वे उनके साथ हो लिए लेकिन जो लोग निस्वार्थ भाव से संघटन व देश सेवा के कार्य में लगे थे वे प्रलोभन में नहीं पड़े।
सहारनपुर के एक वरिष्ट वीएचपी नेता को जब दिया गया बड़ा आफ़र
विश्व हिन्दू परिषद में निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे एक वरिष्ठ वीएचपी नेता से जब “अन्तराष्ट्रिय हिन्दू परिषद में आने के लिए उन्हे क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाने का आफ़र दिया गया तो उन्होंने भरी बैठक में आफ़र देने वालों से भाजपा व मोदी जी का विकल्प पुछ लिया। उन्होंने कहा ठीक है हम मोदी जी व भाजपा का विरोध करेंगे लेकिन इनका विरोध कर किसका समर्थन करेंगे? यह प्रश्न पूछने के बाद भरी सभा में सन्नाटा छा गया। प्रवीण तोगड़िया द्वारा बनाए गए दोनों संगठन चुनाव में भाजपा व मोदी जी के विरोध में कार्य करते है। अमूमन ये भाजपा उम्मीदवारो के विरुद्ध जो भी विपक्षी उम्मीदवार मजबूत होता है उसका समर्थन करते है। वो उम्मीदवार किसी भी राजनीतिक दल, किसी भी विचारधारा का हो।