ताइपे । चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शासन में लंबे समय से व्यक्तिगत स्वतंत्रता का गला दबाया जा रहा है। मानवाधिकार हनन के मामलों से चीन के प्रति तमाम देशों और वहां रहने वाले लोगों के बीच तेजी से अलोकप्रियता बढ़ रही है। कई देशों में तो उसके लिए नफरत पैदा हो रही है।

69 फीसद लोगों में चीन के प्रति नकारात्मक नजरिया

थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने पिछले सप्ताह एक सर्वे जारी किया है। यह सर्वे 17 ऐसे देशों में किया गया है, जो विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले हैं। इस सर्वे में औसतन 69 फीसद लोगों में चीन के प्रति नकारात्मक नजरिया मिला है। इस तरह का नजरिया होने का सबसे बड़ा कारण चीन में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान न होना है।

‘राष्ट्रपति शी चिनफिंग अंतरराष्ट्रीय मसलों को ठीक से हल नहीं कर सकते’

ताइपे टाइम्स में प्रकाशित इस सर्वे में अस्सी फीसद लोगों ने यह माना है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अंतरराष्ट्रीय मसलों को ठीक से हल नहीं कर सकते हैं। उनकी भी पिछले अलोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। ज्ञात हो कि इस साल के अकादमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वालीं फिल्म निर्देशक क्लो झाओ ने 2013 में कहा था कि चीन ऐसा देश है, जहां हर तरफ झूठ फैला हुआ है। चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के बावजूद यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता का तेजी से हनन हो रहा है।

उइगर मुस्लिमों के साथ अत्‍याचार किसी से छिपे नहीं

शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ ही अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन के मामले अब किसी से छिपे नहीं हैं। ताइपे टाइम्स के अनुसार शिनजियांग में चीन जो भी कर रहा है, उसमें विकसित देशों के लोगों का मानना है कि वह पूरी तरह से गलत है।