Gujrat News: गुजरात में रिकवरी के बाद क्यों दम तोड़ रहे हैं कोरोना के मरीज?

Gujrat News: गुजरात में रिकवरी के बाद क्यों दम तोड़ रहे हैं कोरोना के मरीज?

अहमदाबाद
गुजरात के सूरत में म्युनिसिपैलिटी द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल में 70 साल की हेमिबेन चौवतिया का कोरोना का इलाज चल रहा था। चौवतिया हाइपरटेंशन की मरीज थीं लेकिन वह कोरोना से तेजी से रिकवर कर रही थीं। कुछ समय बाद पूरी तरह से ठीक होने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया लेकिन उनके परिवार के लोगों को तब बड़ा झटका लगा, जब उन्होंने अपने घर पहुंचने के कुछ ही घंटों बाद दम तोड़ दिया।

स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह चौकाने वाली खबर तो थी लेकिन यह प्रदेश में कोई नई बात नहीं थी। दो महीने पहले अहमदाबाद के छग्गन मकवाना एक बस स्टॉप पर मृत पाए गए थे। वह भी कोविड अस्पताल से इलाज के बाद डिस्चार्ज किए जा चुके थे। सूरत के एक फीजिशन और कवि डॉ. दिलीप मोदी की भी ऐसी ही कुछ कहानी है। 15 जुलाई को मोदी के परिवार को डॉक्टरों ने बताया कि उनका एक्सरे और रिपोर्ट्स अच्छा संकेत दे रही हैं और वह जल्दी ही ठीक हो जाएंगे। ठीक उसी शाम अचानक दिल का दौरा पड़ने से मोदी की मौत हो गई।

कोरोना के दूरगामी प्रभाव

कोरोना से रिकवर होने वाले लोगों की अचानक मौतें स्वास्थ्य विभाग में चिंता का विषय बनी हुई हैं। गुजरात में अब तक 54 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं। इनमें से 2300 लोगों की मौत हो गई है। प्रदेश के डॉक्टर्स कोरोना वायरस की जटिलताओं और इसके मानव शरीर पर दूरगामी प्रभावों के दूसरे नए पहलुओं की खोज में लगे हैं। डॉक्टर यह मानते हैं कि बहुत से कोरोना मरीजों में उनके ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक क्लॉटिंग का खतरा बना रह सकता है।

हार्टअटैक-ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
गुजरात कोविड टास्क फोर्स में शामिल डॉ. तुषार पटेल ने बताया कि रिकवर होने के बाद भी शरीर में लंबे समय तक रहने वाला हाइपरकोएगुलेशन मरीजों को हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और पल्मोनरी एम्बोलिज्म के खतरों के प्रति संवेदनशील बनाता है। सीनियर फीजिशन डॉ. सुधेंदु पटेल बताते हैं कि उन्हें एक मरीज के बारे में जानकारी है जो पूरी तरह से ठीक हो गए थे लेकिन एक हफ्ते बाद ही उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का अटैक आया था। मरीज वीनुभाई परमार रिटायर्ड पुलिस अफसर थे।

डॉक्टर ने बताया कि हमने देखा कि परमार एकदम से शांत हो गया था। हम सभी को लगा कि यह डिप्रेशन है लेकिन जब जांच की गई तब उनके ब्रेन में थक्का (क्लॉट्स) पाया गया। परमार की बीमारी सही समय पर पकड़ में आ गई थी, इसलिए वह अब ठीक से रिकवर कर रहे हैं। डॉक्टर ने बताया कि इसका मतलब है कि कई मरीजों के शरीर में रिकवर होने के बाद भी कोरोना वायरस के अवशेष प्रतिकूल रेस्पॉन्स देना जारी रखते हैं।

क्या है समाधाना?

संक्रामक रोग विशेषज्ञ अतुल पटेल ने बताया कि कोरोना वायरस के शरीर पर दूरगामी प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी है। जो मरीज हाइपर क्लॉटिंग से ग्रस्त हैं, हम उन्हें रिकवर होने के बाद भी लंबे समय तक ऐंटी-थ्रोम्बोसिस मेडिकेशन के लिए सुझाव देते हैं। इसके अलावा ऐसे मरीजों को अपना डी-डिमर लेवल भी समय-समय पर चेक करवाते रहना चाहिए।


विडियों समाचार