भारत के स्टार पहलवान और किसान आंदोलन के समर्थक बजरंग पूनिया को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (NADA) ने चार साल के लिए निलंबित कर दिया है। यह निर्णय 10 मार्च को आयोजित ट्रायल में डोपिंग टेस्ट देने से उनके इनकार के आधार पर लिया गया। इससे पहले, 23 मार्च को उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था। अब, एडजुडिकेटरी पैनल (ADDP) ने एथलीट अनुच्छेद 10.3.1 का हवाला देते हुए उन्हें चार साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
बजरंग का सरकार और नाडा पर तीखा हमला
अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए बजरंग पूनिया ने इसे साजिश करार दिया। उन्होंने कहा,
“सरकार और नाडा कितने भी प्रतिबंध लगा लें, हम झुकने वाले नहीं हैं। यह कार्रवाई मेरे किसानों और महिला पहलवानों के लिए आवाज उठाने का परिणाम है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यदि वह भाजपा में शामिल हो जाएं, तो उनके सभी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।
“एक्सपायर किट का विरोध किया था”
बजरंग ने दावा किया कि एक साल पहले नाडा के अधिकारियों ने उनसे डोपिंग टेस्ट के लिए एक्सपायर हो चुकी किट का इस्तेमाल करने का दबाव बनाया था, जिसका उन्होंने कड़ा विरोध किया था।
बृजभूषण पर गंभीर आरोप
बजरंग ने यौन उत्पीड़न के आरोपी और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बृजभूषण ने महिला पहलवानों को डोपिंग मामले में फंसाने के लिए डोपिंग एजेंसियों का सहारा लिया।
“उत्पीड़ित वर्गों के साथ खड़ा रहूंगा”
बजरंग ने स्पष्ट किया कि वह किसानों, महिला पहलवानों और अन्य उत्पीड़ित वर्गों के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने सरकार पर बृजभूषण को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा,
“सरकार कार्रवाई करने की बजाय बृजभूषण को बचाने में लगी हुई है।”
प्रतिबंध के बावजूद जारी रहेगा संघर्ष
चार साल के इस प्रतिबंध के चलते बजरंग पूनिया किसी भी कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यह प्रतिबंध उनके संघर्ष को रोक नहीं सकता।
“हम पहले भी लड़े हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे,” उन्होंने कहा।
यह मामला न केवल खेल जगत बल्कि देश में न्याय और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है। बजरंग के निलंबन ने सरकार और खेल संगठनों की भूमिका पर बहस छेड़ दी है।