मेरठ। बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मेरठ में सौरभ हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना के बाद नीला ड्रम देशभर में प्रसिद्ध हो गया है। इस कारण बहुत पति इस घटना से सदमे में हैं। यह घटना अति निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण है। वर्तमान समाज में घटते समाज की व्यवस्था, पाश्चात्य संस्कृति का आगमन और प्यार के चक्कर में पड़े विवाहित पुरुष या स्त्री के कारण यह घटना हुई है। अपने जीवन में एक ही मार्ग होना चाहिए। यह संस्कारों की कमी है। जिसका बेटा या बेटी इस प्रकार के कृत्य कर रहे हैं, उनके पालन-पोषण में कमी है। संस्कारवान परिवार बनाने के लिए प्रत्येक भारतीय को रामचरितमानस का आधार लेना जरूरी है।बुधवार को पत्रकार वार्ता व कथा में विभिन्न मुद्दों पर विचार रखे। कहा कि कुछ वर्ष पहले किसी ने कहा था कि यहां पर हम 45 या 42 प्रतिशत हैं, एक हो जाएं तो बोटी-बोटी कर देंगे। जिसको सुनकर हृदय में दुख उत्पन्न हुआ। विश्व भर में केवल एक सनातन धर्म ऐसा है, जो तृतीय विश्व युद्ध से पूरी दुनिया को बचा सकता है। जातिवाद छोड़कर राष्ट्रवाद को अपनाना होगा। तभी सबका भला होगा।
राम चरित मानस पर आधारित होगी जीवनशैली
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत में हिंदू राष्ट्र की रूपरेखा के बारे में बताया कि वैसे तो हिंदू राष्ट्र वर्तमान में भी है, लेकिन आधिकारिक रूप से घोषित होने पर दंड की प्रक्रिया बदलेगी। हिंदू राष्ट्र में रहने का सबको अधिकार होगा। जैसे दुबई या यूएई में है, वहां पर भी सभी धर्मों के लोग रहते हैं, लेकिन प्राथमिकता मुस्लिमों को है। ठीक उसी प्रकार हिंदू राष्ट्र में प्राथमिकता सनातन धर्म की होगी। रामचरितमानस के आधार पर जीवन शैली होगी। जाति-पांत, भेदभाव व छुआछूत के नाम पर होने वाली राजनीति नहीं होगी। ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के गाय माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अभियान को लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सराहना की।
नियम सबके लिए समान तो चच्चे के तीस बच्चे क्यों ?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सरकार नारा दे रही है कि बच्चे दो ही अच्छे हैं। यह नियम हम मानने को तैयार हैं, लेकिन चच्चे के तीस बच्चे क्यों है? उन्होंने कहा कि क्वांटिटी कम क्यों न हो, लेकिन क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए अर्थात बच्चे चाहे चार हो, लेकिन कट्टर हिंदू होने चाहिए।
देशभर से मिटाए जाएं विधर्मियों के नामों-निशान
उन्होंने कहा कि औरंगजेब कदापि महान नहीं हो सकता। देश में जितने भी विदेशी-विधर्मी भारत को तोड़ने के लिए आए, उनके नामों-निशान मिटने चाहिए। मेरठ में भी कई जगह या मार्ग ऐसे नाम हैं, जिनके नाम बदलने चाहिए। अभी तक तो यही कहा जा रहा था कि अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है, लेकिन अब यह कहेंगे कि संभल-काशी-मथुरा तीनों बाकी है। शांति की जगह अब क्रांति का पाठ होना चाहिए।