गहलोत का शक्ति प्रदर्शन, लेकिन मीटिंग में नहीं पहुंचे कांग्रेस के 19 विधायक, क्या हैं इसके मायने

गहलोत का शक्ति प्रदर्शन, लेकिन मीटिंग में नहीं पहुंचे कांग्रेस के 19 विधायक, क्या हैं इसके मायने

 

  • राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया के सामने समर्थक विधायकों की कराई ‘परेड’
  • गहलोत कैंप का 109 विधायकों के समर्थन का दावा, लेकिन बैठक में नहीं पहुंचे कांग्रेस के 19 MLA
  • अगर इन विधायकों ने इस्तीफा दिया तब भी गहलोत सरकार पर नहीं होगा संकट
  • हालांकि, बागी विधायकों की संख्या बढ़ी तब एमपी के कमलनाथ जैसा हो सकता है गहलोत का हश्र

नई दिल्ली/जयपुर
राजस्थान में मुख्यंमत्री अशोक गहलोत सोमवार को डेप्युटी सीएम सचिन पायलट की बगावत से अपनी कुर्सी बचा ले गए। जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर भारी सस्पेंस के बीच हुई बैठक में गहलोत बहुत से ज्यादा विधायकों की परेड कराने में सफल रहे। विक्ट्री निशान के जरिए गहलोत ने इसे मीडिया के सामने जाहिर किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक में गहलोत खेमे में माने जा रहे एक दर्जन विधायकों समेत 107 विधायक मौजूद रहे। हालांकि, बैठक में पालयट समेत कम से कम 19 विधायक नदारद रहे जो बताता है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ। इस बीच, बैठक के बाद तीन बसों में विधायकों को होटल में ले जाया गया है। बैठक के बाद निकले विधायक विक्ट्री साइन दिखाते हुए रवाना हुए हैं।

विधायकों को होटल ले जाया गया

बैठक के बाद जिस तरह से सभी विधायकों को होटल में सुरक्षित कर लिया गया है, उससे भी साफ है कि फिलहाल तो गहलोत की कुर्सी तो बच गई है, लेकिन पिक्चर अभी बाकी है। राजस्थान में सरकार बचने पर भी यूपी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी जिस तरह से विप का उल्लंघन करने वाले पायलट को मनाने में जुटी हैं, उससे भी साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस इस संकट का स्थायी समाधान करना चाहती है।

क्या होगा अगर 19 विधायकों ने इस्तीफा दिया?
वैसे तो सचिन पायलट कैंप 25 से 30 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। लेकिन सोमवार दोपहर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इतने तो नहीं लेकिन कम से कम 19 एमएलए शामिल नहीं हुए। अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान कांग्रेस में भी ‘बागी’ विधायक इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 से घटकर 181 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए कम से कम 91 सीटों की जरूरत होगी।

पायलट का दांव फेल, गहलोत की कुर्सी बची!

बीजेपी के पास क्या है गणित?
बीजेपी के पास 72 सीटें हैं और 3 सीटें उसकी सहयोगी आरएलपी के पास 3 सीटें हैं। ऐसी सूरत में गहलोत निर्दलीयों और छोटे दलों की मदद से गहलोत अपनी सरकार आसानी से बचा सकेंगे। एमपी की तरह बीजेपी राजस्थान में तभी सरकार बना पाएगी जब कम से कम 25-30 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के साथ उसे निर्दलीय और छोटे दलों को भी साधने में कामयाबी मिले।

उस चिट्ठी की कहानी जिसने सचिन पायलट को बागी बना दियाSachin Pilot Latest News: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मतभेद और मनभेद की खबरें यूं तो 2018 में सरकार बनने के बाद से ही लगातार आती रहीं, लेकिन 10 जुलाई को लिखी गई एक चिट्ठी की वजह से पायलट ना सिर्फ आग बबूला हो गए बल्कि बगावत का झंडा थामे दिल्ली पहुंच गए। आइए आपको बताते हैं कि क्या था इस चिट्ठी में।

नरम हुए पायलट के तेवर?
रात ढाई बजे जब कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तब विधायकों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि विधायक दल की बैठक में न आने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी, पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। हालांकि, जब दिन में रणदीप सुरजेवाला मीडिया से मुखातिब हुए तो सुलह की भाषा बोलते हुए कहा कि पायलट समेत सभी विधायकों के लिए कांग्रेस के दरवाजे पहले भी खुले थे, अब भी खुले हैं और आगे भी खुले रहेंगे।

राजस्थान में कैसे बची सीएम गहलोत की कुर्सी, जानिए अब तक के अपडेट्सनई दिल्ली/जयपुर। सचिन पायलट के बगावती तेवर के बीच राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर मंडरा रहा सियासी संकट अब टलता दिख रहा है। जयपुर में विधायकों की बैठक से पहले कांग्रेस ने सरकार के समर्थन में आए विधायकों को मीडिया के सामने पेश किया। पार्टी ने दावा किया कि सरकार के पक्ष में 102 विधायक बैठक में पहुंचे हैं। इसके अलावा जो विधायक जयपुर नहीं पहुंचे हैं उनमें भी कई संपर्क में हैं। फिलहाल राजस्थान में जारी सियासी घमासान में अशोक गहलोत ने विधायकों को कैमरे के सामने पेश करके अपने शक्ति का प्रदर्शन किया। जानिए, उनके इस दांव से सूबे की राजनीति में क्या असर होगा।

अब मीडिया में ऐसी भी रिपोर्ट्स आ रही है कि सचिन पायलट के तेवर भी नरम हुए हैं। अब वह भी सुलह चाहते हैं, इसके संकेत मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अपने कुछ चहेते विधायकों को मंत्री बनाने और कुछ अहम मंत्रालयों को अपने लोगों को दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा खुद को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बरकरार देखना चाहते हैं। इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा के भी दखल देने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि प्रियंका पायलट और गहलोत दोनों से बात कर रही हैं और संकट का हल निकालने के लिए सक्रिय हो चुकी हैं।


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