उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी चुप क्यों हैं। वहीं, इसके बाद भाजपा की ओर से गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने प्रस्ताव पर सदन में अपनी बात रखी। निशिकांत दुबे ने विपक्षी पार्टियों द्वारा लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव पर तंज कसते हुए कहा माननीय प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि यह अविश्वास प्रस्ताव नहीं है बल्कि विपक्षी दलों के बीच विश्वास प्रस्ताव है कि कौन विपक्ष के साथ है और कौन नहीं, यह उसी विश्वास का परीक्षण है।

निशिकांत दुबे ने विपक्षी गठबंधन पर उठाए सवाल

निशिकांत दुबे ने आगे कहा कि कांग्रेस ने अतीत में अपने साथी दलों के साथ जो किया है, उसे लेकर  सहयोगी दलों पर उसका विश्वास नहीं है। दुबे ने आगे कहा कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस के बाद डीएमके सबसे बड़ा घटक दल है। उसी डीएमके के मुखिया एमके स्टालिन के पिता और दिवंगत करुणानिधि की सरकार को साल 1976 में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद साल 1980 में जब इंदिरा गांधी जी की सरकार बन रही थी तो डीएमके उसके साथ आ गई।

सांसद ने नारदा स्टिंग घोटाले को किया याद

वहीं, डीएमके के बाद टीएमसी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सिंगूर पर हमने (भाजपा) ममता बनर्जी का साथ दिया था। हमारे दल के नेता राजनाथ सिंह उनकी रैली में शामिल हुए थे। भाजपा ने उनकी सरकार बनाने में मदद की थी, लेकिन कांग्रेस ने टीएमसी पर नारदा स्टिंग घोटाले का का केस कर दिया था।

लालू यादव से लेकर शरद पवार तक का किया जिक्र

निशिकांत दुबे ने आगे कहा कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता को साल 1995 में कांग्रेस की सरकार ने ही लालू यादव को जेल भेजा था। उस मामले में ललन सिंह पिटीशनर थे।

वहीं, उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव को लेकर कांग्रेस ने कई बातें कहीं और उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज करवाया था।

उन्होंने आगे कहा कि  साल 1980 में शरद पवार की सरकार को बर्खास्त करने और जम्मू कश्मीर में 1953 से लेकर 1975 तक शेख अब्दुल्ला को इसी कांग्रेस ने जेल में बंद रखा था।

सोनिया गांधी पर भी कसा तंज

उन्होंने आगे कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा,””यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। यह क्यों लाया गया है? सोनिया जी (गांधी) यहां बैठी हैं… मुझे लगता है कि वो दो काम करना चाहती हैं- बेटे को सेट करना है और दामाद को भेंट करना है…यही इस प्रस्ताव का आधार है।”