विशेषज्ञों का दावा, पराली नहीं स्थानीय प्रदूषकों ने बिगाड़ी दिल्ली की हवा

विशेषज्ञों का दावा, पराली नहीं स्थानीय प्रदूषकों ने बिगाड़ी दिल्ली की हवा

हरियाणा-पंजाब में पराली के धुएं से गरमाई दिल्ली की सियासत के बीच विशेषज्ञ एजेसियों का दावा है कि दिल्ली की हवा स्थानीय प्रदूषकों की वजह से खराब हो रही है। हवा की दिशा उत्तर प्रदेश की तरफ से होने से हरियाणा व पंजाब से उठ रहा पराली का धुआं दिल्ली नहीं पहुंच रहा है।

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में बाहरी कारक प्रभावी होंगे। 19 अक्तूबर तक पराली के धुएं से हवा में प्रदूषण का हिस्सा 18 फीसदी तक पहुंचने का अंदेशा है।

दिलचस्प यह कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आंकड़े पर सवाल उठाने के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने अपना फॉर्मूला भी जारी कर दिया है। इसे वैश्विक मॉडल पर तैयार किया गया है। इसमें पराली के धुएं के उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषण को निकाला जाता है, जबकि दिल्ली के प्रदूषण के स्थानीय स्रोत भी पता किए जाते हैं।

प्रदूषण का बैक ग्राउंड पता करने के लिए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 2018 में एक स्टडी कराई थी। इसके आधार पर पता चलता है दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा दिन-प्रतिदिन बदलता रहा है। इसमें अहम भूमिका हवा की दिशा और उसकी रफ्तार होती है।

सफर का कहना है कि इस वक्त हवा की गुणवत्ता खराब होने की बड़ी वजह मौसमी बदलाव है। दिल्ली की सतह पर चलने वाली हवाएं धीमी हैं। वहीं, बाउंड्री लेयर हाइट (बीएलएच) नीचे है। तापमान भी इस दौरान कम है।

इस बीच हालांकि, हरियाणा, पंजाब समेत सीमावर्ती इलाके में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं औसत दर्जे का है। पश्चिम व उत्तर-पूर्व में कहीं-कहीं पर पराली जलाई जा रही है। दक्षिणी पूर्वी हवाओं से इसका धुआं दिल्ली पहुंच रहा है। दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा 14 अक्तूबर के 4 फीसदी से बढ़कर बृहस्पतिवार को 8 फीसदी हो गया है।

सफर का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी होने हवा की रफ्तार शुक्रवार को बढ़ने का अंदेशा है। इससे दिल्ली के वायु प्रदूषण में थोड़ा सुधार होगा, लेकिन शनिवार को इसमें एक बार फिर तेजी से गिरावट आएगी। इसकी वजह पराली का धुआं होगा। अनुमान है दिल्ली के प्रदूषण में इसका हिस्सा 18 फीसदी तक पहुंच जाएगा।


विडियों समाचार