भारतीय सेना के साथ झड़प में मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत कराने की कोशिश में ड्रैगन

भारतीय सेना के साथ झड़प में मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत कराने की कोशिश में ड्रैगन

 

  • ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है कि लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं
  • चीन की शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक नहीं तोड़ी है चुप्पी
  • चीनी सैनिकों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला

नई दिल्ली/बीजिंग
चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों के पीड़ित परिवारों को बुधवार को शांत करने का प्रयास किया। हालांकि, चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता कि झड़प में उसके सैनिकों की मौत हुई थी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन की ओर से लिखा गया है, “सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ मृतकों के साथ व्यवहार किया गया है और यह जानकारी आखिर सही समय पर समाज को दी जाएगी, ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके और उन्हें याद किया जा सके।”

चीन में दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके बाद संपादकीय में यह बात कही गई है। हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है कि लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं मगर शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है। ‘पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को शीर्ष श्रद्धांजलि’
हू ने ‘पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को शीर्ष श्रद्धांजलि’ देते हुए लिखा, “चीन की सुरक्षा और चीन की शांति उन पर निर्भर करती है। अब तक चीनी सेना ने मृतकों के बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है। पूर्व सैनिक और फिलहाल मीडिया पेशेवर के तौर पर मैं समझता हूं कि यह दोनों देशों में, विशेष रूप से भारत में, जनता की राय को उत्तेजित नहीं करने के उद्देश्य से एक आवश्यक कदम है। यह बीजिंग की सद्भावना है। भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं और भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे हैं। ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने अपने लेख में इन बातों को ‘बिना चुनौती वाली अफवाहें’ करार दिया।

पीएलए ने दिखाई स्थिति को नियंत्रण में लाने की अपनी क्षमता
लद्दाख के मुद्दे पर हिंसक झड़प पर हू ने अपनी खीझ निकालते हुए लिखा है, पीएलए ने भारतीय पक्ष को एक सबक सिखाया है, जिसने हमेशा चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प पर अपनी गलत राय बनाई है। पीएलए ने आवश्यकता पड़ने पर अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है, जो कि भारतीय पक्ष, विशेष रूप से उनके अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए एक मजबूत निवारक है। पीएलए ने न केवल स्थिति को नियंत्रण में लाने की अपनी क्षमता दिखाई है, बल्कि जमीन पर भारतीय सेना पर मनोवैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त किया है।

लद्दाख: गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिक

लद्दाख: गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिकचीन ने गलवान घाटी में अपने कुछ सैनिक और वाहन अग्रिम मोर्चों से पीछे हटा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव कम करने के लिए 22 जून को कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी।

भारत को दी धमकी
ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने भारत को धमकी देते हुए कहा, पीएलए के साथ खिलवाड़ मत करो। यह उन लोगों के लिए हमारी कड़ी चेतावनी है, जो चीन के प्रमुख हितों को चुनौती देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं। हू ने यह भी कहा कि सीमा पर घुसपैठियों को कड़ी टक्कर देने के लिए चीन ने सीमा पर एक मजबूत तैनाती की है। उन्होंने कहा कि इस तैनाती का उद्देश्य अधिक संघर्षों की घटना से बचना है।

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