ब्रसेल्स । वैश्विक जनमत को अपनी इच्छा से आकार देने के लिए चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने लंबी और महत्वाकांक्षी योजना के तहत नया मोर्चा खोला है। इसके तहत ट्विटर पर प्रचार के लिए वह फर्जी अकाउंट का सहारा ले रही है। लियू जियाओमिंग ने हाल ही में ब्रिटेन में चीनी राजदूत का पद छोड़ा है। चीन की इस आनलाइन मुहिम में वे कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे सफल सेनानियों में एक रहे हैं। उन्होंने अक्टूबर 2019 में ट्विटर ज्वाइन किया था।
यहां यह जानना बहुत रोचक होगा कि बड़ी संख्या में चीनी राजनयिकों ने ट्विटर और फेसबुक पर अपना अकाउंट खोल रखा है, जबकि चीन में इन दोनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। ट्विटर पर अकाउंट खोलने के बाद लियू ने विस्तार से अपनी प्रोफाइल बनाई। यहां पर उनके 1,19,000 फालोवर हैं। इसके बाद वे चीन की आक्रामक विदेश नीति के प्रमुख चेहरे के रूप में सामने आए। अपने ट्वीट में वे चीन विरोधी पश्चिमी जगत को आक्रामक जवाब देते हैं, जिन्हें उनके समर्थक धड़ाधड़ रिट्वीट करते हैं। हालांकि, लियू और उनके सहयोगियों को ट्विटर पर मिला जन समर्थन बनावटी लगता है।
एसोसिएटेड प्रेस और आक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट ने इस मामले में सात महीने तक गहन पड़ताल की। इसमें पता चला कि ट्विटर पर चीन का उदय फर्जी अकाउंट के सहारे हो रहा है। फर्जी अकाउंट के जरिये चीनी राजनयिकों और सरकारी मीडिया के ट्वीट को हजारों बार रिट्वीट कर दिया जाता है। इससे चीन का प्रचार तंत्र अपनी बात को लाखों लोगों तक पहुंचाने में कामयाब हो जाता है। कई बार तो वह बताता तक नहीं कि यह सामग्री सरकार प्रायोजित है।
जून से जनवरी तक जिन अकाउंट से लियू के ट्वीट को रिट्वीट किया गया, उनमें आधे से ज्यादा ऐसे हैं, जिन्हें नियमों के उल्लंघन के आरोप में ट्विटर ने निलंबित कर रखा है। हालांकि, ट्विटर का यह निलंबन चीन के प्रचार तंत्र को अपना काम करन से नहीं रोक सका।